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महाभारत: कृष्ण के दुनिया से कूच करते ही क्यों खत्म हुई अर्जुन के गांडीव की शक्ति, तब उन्होंने धनुष किसे दिया

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महाभारत युद्ध में अर्जुन को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के तौर पर याद किया जाता है. उस युद्ध में पांडवों की जीत का सबसे बड़ा सेहरा उन्हीं पर था. इससे पहले भी अर्जुन ने बार- बार अपने तीर और धनुष से अपनी श्रेष्ठता ऐसी जाहिर की कि बड़े से बड़ा योद्धा और बड़ी से बड़ी सेना भी उनके छूटते तीरों के सामने हार मान जाती थी. इन्हीं अर्जुन के तीर धनुष ने बाद में जवाब दे दिया. वो लाख तीन धनुष चलाते रहे लेकिन साधारण से डाकुओं ने उन्हें हरा दिया.

ये बात हैरान जरूर करती है लेकिन है सच. जब अर्जुन कृष्ण के निधन के बाद द्वारिका गए तो वहां से लौटते हुए उनका बुरा हाल हो गया. वह उनके महल की सैकड़ों महिलाओं को हिफाजत में लेकर हस्तिनापुर लौट रहे थे. वजह ये थी कि कृष्ण के निधन के बाद द्वारिका का डूबना शुरू हो गया था. ये समुद्र में समाने लगी थी. ऐसे में अर्जुन से सभी ने कहा कि वह इन महिलाओं को लेकर हस्तिनापुर ले जाएं, वहां ये सुरक्षित रहेंगी.
साधारण डाकुओं को भी नहीं हरा पाए

लेकिन लौटते समय रास्ते में उन्होंने देखा कि उनके तीर-धनुष की धार खत्म हो चुकी थी. उनकी धनुर्विद्या गायब हो गई. इसने जवाब दे दिया. कृष्ण के निधन के बाद हस्तिनापुर लौटते हुए उनका दस्युओं का सामना हुआ. दस्यु अर्जुन के साथ जा रही कई महिलाओं को उठा ले गए. अर्जुन कुछ नहीं कर सके. उन्होंने धनुष पर तीर चढ़ाए लेकिन वो चल ही नहीं रहे. चल भी रहे थे तो इनका असर नहीं हो रहा था.

कृष्ण के निधन का क्या असर पड़ा

 इसका कारण उनकी धनुर्विद्या में कमी नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक और दैवीय वजहें. दरअसल अर्जुन की धनुर्विद्या की जबरदस्त ताकत का प्रमुख स्रोत भगवान कृष्ण की कृपा और उपस्थिति थी. कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. युद्ध में उनके सारथी के रूप में मार्गदर्शन किया था. उनकी गंभीर शक्ति और युद्ध-कौशल में कृष्ण का आशीर्वाद महत्वपूर्ण था. कृष्ण के निधन के बाद वह दैवीय समर्थन समाप्त हो गया, जिसके कारण अर्जुन की शक्ति कमजोर पड़ गई.

गांडीव धनुष की शक्ति खत्म हो गई

अर्जुन का गांडीव धनुष उन्हें अग्निदेव से मिला था. ये दैवीय अस्त्र था. यह धनुष कृष्ण की मौजूदगी के साथ दैवीय उद्देश्य के लिए काम करता था. युद्ध के बाद और कृष्ण के निधन के बाद गांडीव की शक्ति का उद्देश्य खत्म हो गया. इस वजह से ये धनुष केवल एक साधारण हथियार बन गया, जिसके कारण अर्जुन इसे पहले की तरह प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाए.

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