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Machli Palan | मछली पालन में तालाब की तैयारी एक महत्वपूर्ण पहलू

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तालाब में खाद का उपयोग, मछली पालन के लिए महत्वपूर्ण

Machli Palan – जैसे खेतों में खाद और बीज डालकर फसल उगाई जाती है, वैसे ही तालाब में मछली पालन भी एक महत्वपूर्ण कृषि कार्य है। इसे “जलीय खेती” या “पानी की खेती” भी कहा जाता है। सफल मछली पालन के लिए तालाब की तैयारी महत्वपूर्ण है।

इसके लिए एक एकड़ तालाब में एक हजार किलोग्राम महुआ खाली डालने से दो-चार घंटे में मछलियां बेहोश होकर सतह पर आ जाती हैं. प्रति एकड़ 200 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर पानी में डालने से भी बेकार मछलियों को मारा जा सकता है. पानी में इन जहरों का असर 10-15 दिनों तक रहता है. वहीं तालाब में मछली का जीरा छोड़ने से पहले गोबर जरूर डाल देना चाहिए. साथ ही चुने का भी उपयोग किया जाता है. इस तरह का काम क्यों करें, इसका कारण हम जानते हैं।

मछली पालन में तालाब की उर्वरता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तालाब में खाद डालने से प्राकृतिक भोजन का उत्पादन बढ़ता है, जो मछली के विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

खाद डालने की विधि | Machli Palan

मात्रा: 4000 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से कच्चा गोबर या सड़ी हुई खाद तालाब में डालें।
समय: यह सारी मात्रा एक बार में नहीं, बल्कि हर महीने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में डालनी चाहिए।
प्रारंभिक मात्रा: शुरू में 800 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से गोबर डालें।
मासिक मात्रा: उसके बाद, हर महीने 400 किलोग्राम प्रति एकड़ गोबर डालें।
महुआ खली: यदि तालाब में महुआ खली का उपयोग किया गया है, तो शुरू में दिए जाने वाले गोबर की मात्रा आधी हो जाएगी।
जमा करना: हर माह दिए जाने वाले गोबर को तालाब के किसी किनारे पर जमा करना बेहतर होता है।

खाद डालने के लाभ

प्राकृतिक भोजन का उत्पादन बढ़ाता है।
मछली के विकास और स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
पानी की गुणवत्ता में सुधार करता है।
तालाब की तलछट को कम करता है।

झारखंड राज्य में स्थित तालाबों में मछली पालन एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है। यहाँ की मिट्टी अम्लीय होने के कारण तालाबों का पानी भी अम्लीय होता है। मछली पालन के लिए पानी का थोड़ा क्षारीय होना आवश्यक है। चूना डालने से पानी का pH स्तर बढ़ता है और यह मछली पालन के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है।

चूना डालने के लाभ | Machli Palan

पानी का pH स्तर बढ़ाता है।
मछली के विकास और स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है।
हानिकारक जीवाणुओं और शैवाल को नियंत्रित करता है।
तालाब की तलछट को कम करता है।

चूना डालने की विधि

समय: चूना तब डालें जब तालाब सूख गया हो या सारी बेकार मछलियां बाहर निकाल दी गई हों।
मात्रा: 200 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बारीक चूर्ण चूने का उपयोग करें।
विधि: चूने को धीरे-धीरे पानी में डालें और समान रूप से वितरित करें।

छोटे तालाब, जिनमें पानी की मात्रा कम होती है और जो लंबे समय तक भरा नहीं रहता है, उनमें बड़ी मछली पालन करना व्यावहारिक नहीं होता है। लेकिन यदि इन तालाबों का उपयोग मछली बीज (जीरा) उत्पादन के लिए किया जाए तो यह एक लाभदायक व्यवसाय बन सकता है।

मछली बीज उत्पादन के लाभ | Machli Palan

कम लागत: मछली बीज उत्पादन में बड़ी मछली पालन की तुलना में कम लागत आती है।
अधिक आय: छोटे तालाब से भी मछली बीज उत्पादन करके अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।
कम समय: मछली बीज उत्पादन में कम समय लगता है, जिससे साल में कई फसलें ली जा सकती हैं।
रोजगार: मछली बीज उत्पादन से किसानों और ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।

मछली बीज उत्पादन की संभावनाएं

भारत सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है, जिनमें मछली बीज उत्पादन को भी शामिल किया गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र मछली बीज उत्पादन के लिए किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी प्रदान करते हैं।
बाजार में मछली बीज की हमेशा मांग रहती है, जिससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकता है।

एक किसान 25 डिसमिल तालाब से एक बार में यानी 15-20 दिन में 5,000 रुपये और साल में 3-4 फसल करके 15,000-20,000 रुपये तक कमा सकते हैं।

मछली बीज उत्पादन एक लाभदायक व्यवसाय | Machli Palan

छोटे तालाबों में मछली बीज उत्पादन एक लाभदायक व्यवसाय है। कम लागत, अधिक आय, कम समय और रोजगार के अवसरों के कारण यह किसानों और ग्रामीण युवाओं के लिए एक आकर्षक विकल्प बन सकता है।

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