Lok Sabha Election : नहीं मिला लोकल नेताओं का सपोर्ट : रामू टेकाम

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लगातार दूसरी बार रिकार्ड मतों से हारे

Lok Sabha Electionबैतूल – राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में रामू टेकाम 1952 से 2024 तक बैतूल लोकसभा क्षेत्र के ऐसे पहले नेता हो गए हैं जिन्हें स्वयं की पार्टी से लगातार दो बार टिकट मिली और दोनों बार ही रिकार्ड मतों से हार हुई। लेकिन कांग्रेस के ऐसे उम्मीदवार भी बैतूल में चुनाव लड़े जो लगातार दो बार चुनाव जीते इनमें 1967 और 1971 के नागपुर के एनकेपी साल्वे कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। इसके पहले असलम शेर खान 1984, 1989, 1991 और 1996 में लगातार चार बाद टिकट दी थी लेकिन वे 1984 और 1991 में चुनाव जीते थे लेकिन 1989 और 1996 में चुनाव हार गए थे। मीडिया से हुई चर्चा के अनुसार रामू टेकाम ने अपनी इस बड़ी हार का कारण संगठन की कमजोरी और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के सहयोग ना देने को मान रहे हैं। इसके अलावा भी अन्य कारण बताए हैं।

संगठन पर फोड़ा ठीकरा | Lok Sabha Election

मीडिया से हुई चर्चा की माने तो कांग्रेस उम्मीदवार रामू टेकाम ने अपनी बड़ी हार के कई कारण बताए हैं। जिनमें भाजपा की तुलना में कांग्रेस का संगठन कमजोर होना भी शामिल है। रामू टेकाम के अनुसार क्षेत्र के लोकल कांग्रेस नेताओं का सपोर्ट नहीं मिलना भी शामिल है। चुनाव से एक दिन पहले लाड़ली बहना के पैसे भेजना और कांग्रेस के कोई राष्ट्रीय स्तर के नेता का प्रचार करने नहीं आने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा।

रामू टेकाम के अनुसार हरदा क्षेत्र में नरेंद्र मोदी की रैली से भी विधानसभा चुनाव में जीती हरदा और टिमरनी सीट से भी लोकसभा चुनाव में हार मिली। गौरतलब है कि कांग्रेस संगठन में जिला स्तर पर अंत तक पदों की लड़ाई होती रही। जिला संगठन में दो जिलाध्यक्ष बने तो गुटबाजी इतनी बढ़ गई कि उसका खामियाजा कांग्रेस को 2023 के विधानसभा चुनाव में पांचों सीट हारने के साथ-साथ लोकसभा में भी उठाना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि रामू टेकाम राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के प्रचार करने नहीं आने को अपनी हार का एक कारण मान रहे हैं लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं रामू टेकाम को लगातार दो बार लोकसभा की टिकट दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के अलावा सिर्फ बैतूल लोकसभा सीट पर दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी कई बार लोकसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए आए।

लोकल नेताओं ने किया था विरोध

2019 में रामू टेकाम के रिकार्ड मतों से हारने के कारण 2024 के चुनाव में रामू टेकाम को दोबारा कांग्रेस से टिकट मिलने को लेकर जिले के कई प्रमुख कांग्रेस नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने खुलकर रामू टेकाम की जगह अन्य उम्मीदवार को मैदान में उतारने की वकालत की थी। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह उइके, दो बार के पूर्व विधायक धरमूसिंह, पूर्व विधायक ब्रम्हा भलावी के अलावा बैतूल के पूर्व विधायक निलय डागा भी यह प्रयास करते रहे कि कांग्रेस अपना उम्मीदवार बदले लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली और राजनैतिक समीक्षकों का भी यह मानना है कि टिकट परिवर्तित नहीं होने के कारण ये दिग्गज कांग्रेस नेता भी पूरे मन से चुनाव प्रचार में नहीं उतरे।

2019 में मिली थी हार | Lok Sabha Election

1952 से 2019 तक हुए लोकसभा के 18 चुनाव में किसी राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के रामू टेकाम को सर्वाधिक 3 लाख 60 हजार 241 मतों के रिकार्ड अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें भाजपा के डीडी उइके ने ही हराया था। उस समय संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभाओं में रामू टेकाम को पराजय मिली थी। यहां तक की उनके गृह क्षेत्र भैंसदेही विधानसभा से भी 21473 मतों से हारे थे। इस रिकार्ड हार के बावजूद 2024 में भी कांग्रेस ने रामू टेकाम पर ही दांव चलाया।

2024 में और बड़े अंतर से हुए पराजित

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में रामू टेकाम की हार का अंतर 19 हजार और बढ़ गया और वर्तमान सांसद डीडी उइके ने लगातार दूसरी बार दूसरी बार रामू टेकाम को पराजित किया है। इस चुनाव में डीडी उइके को 8 लाख 54 हजार 298 एवं रामू टेकाम को 4 लाख 74 हजार 575 वोट मिले। वैसे दोनों ही उम्मीदवारों का 2019 की तुलना में मत प्रतिशत बढ़ा है। 2019 में डीडी उइके को 8 लाख 11 हजार 248 एवं रामू टेकाम को 4 लाख 51 हजार 007 वोट मिले थे।