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रेलवे रैक प्वाइंट पर शुरू नहीं हुआ मशीनों से लोडिंग अनलोडिंग का काम, कन्धे पर ही ढोए जा रहे बोरे

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सांध्य दैनिक खबरवाणी, बैतूल:- बैतूल रेलवे स्टेशन के रेलवे रैक प्वाइंट यानी मालगोदाम पर आधुनिक मशीनों से मालगाड़ी और ट्रकों में लोडिंग अनलोडिंग का प्रोजेक्ट शुरू किया जाना था, लेकिन यह प्रोजेक्ट पिछले डेढ़ साल से अधर में लटका हुआ है और लोडिंग-अनलोडिंग के लिए रेलवे कांट्रेक्टर द्वारा लाई गई आधा दर्जन आधुनिक मशीनें धूल खा रही हैं। इस प्राजेक्ट से सबसे ज्यादा फायदा रेलवे, व्यापारी और मजदूर, हम्मालों का होगा, क्योंकि मशीनों से जहां तेजी से रेक खाली होंगे और ट्रकों में लोडिंग होगी तो बैतूल मालगोदाम पर रेकों की संख्या बढ़ जाएंगी तो वहीं व्यापारियों के लिए भी ज्यादा माल बुलवाने या भेजने का अवसर होगा।
सबसे बड़ा फायदा यहां मजदूरों और हम्मालों के लिए होना था, आधुनिक मशीनों से जब बेल्ट के जरिए लोडिंग-अनलोडिंग होगी तो मजदूर तो उतनी संख्या में ही लगेंगे लेकिन उन्हें सिर और कांधे पर बोरे नहीं ढोने होंगे, जिससे उनके चोटिंल होने और सीमेंट से होने वाले शारीरिक नुकसान से भी वे बच जाएंगे।
1. सूत्र बताते हैं इस प्राजेक्ट को चालू करवाने के लिए कांट्रेक्टर, रेल अधिकारी, व्यापारी, लेबर कांट्रेक्टरों के बीच दर्जनों बार बैतूल में मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन इन बठकों में काम शुरू करवाने को लेकर कभी कोई सामंजस्य नही बन पाया। अब कब तक यह प्रोजेक्ट चालू होगा कहा नहीं हा सकता, लेकिन यह जरूर है कि आपसी अड़ेंगे बाजियों से एक अच्छा प्रोजेक्ट बैतूल के हाथ से निकल जाएगा।

तेजी से होगा काम, बढ़ेगी रैक, बढ़ेगा मैनपॉवर:-

बैतूल रेलवे मालगोदाम पर काम करने वाले हम्मालों को ऐसा लग रहा है कि मशीनों से काम शुरू होने से हम्माल कम लगेंगे, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, क्योंकि जिस तरह अभी कांधे पर बोझा ढोकर दो या चार रैक खाली होती हैं, वहीं मशीनों से का शुरू होगा तो रैकों की संख्या भी बढ़ जाएगी। यानी कुल मिलाकर रैक बढेंगी, मशीनें बढ़ेंगी तो मैनपॉवर भी बढ़ेगा यानी हम्मालों की संख्या को और बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। रेलवे का प्लान है कि बैतूल में आस-पास के ग्रामीण अंचलों के मजदूर जो अभी केवल मेहनती काम करते हैं वे मशीनों से काम सीखकर प्रशिक्षित हो जाएंगे और उनके काम करने के तौर तरीकों में गुणवत्ता भी आ जाएगी।

काम शुरू होता तो हम्मालों को मिलता मेडिक्लेम, कटता पीएफ:-

यदि यह काम शुरू होता है कि रेलवे रैक प्वांट के आधुनिकीकरण के साथ ही इस काम में हम्मालों का ज्यादा ध्यान रखा गया है। अभी खतरा उठाकर पीठ पर बोरे ढोकर लोडिंग अन लोडिंग करने वाले हम्मालों को किसी भी प्रकार से कोई मेडिक्लेम नहीं मिलता है, लेकिन नई व्यवस्था के तहत रेलवे कांट्रेक्ट बेस पर हम्मालों के लिए मेडिक्लेम, पीएफ सहित अन्य वो सारी सुविधाएं मुहैया करवाएगी जो एक सरकारी कर्मचारी को मिलती है। यानी काम का बोझ कम होने के साथ-साथ हम्मलों का भविष्य भी सुनेहरा होने वाला है। पीएफ का सबसे बड़ा फायदा हम्मालों को यह होगा कि आने वाले भविष्य में उन्हें अपने पीएफ से एक अतिरिक्त बचत वे कर सकेंगे। इसके साथ ही ईएसआईसी कर्मचारी राज्य बीमा निगम हम्मलों का कार्ड बनाएगा जो उन्हें इलाज करवाने के लिए सुविधाजनक और आर्थिक रूप से मदद करेगा। इसके साथ इंश्योरेंज होगा यदि काम करते समय कोई हादसा होता है तो हम्माल को उसका मेडिक्लेम भी मिलेगा।

फिलहाल खतरा उठाकर काम करते हैं हम्माल:-

बैतूल। फिलहाल हम्मालों को रैक प्वाइंट पर ज्यादा मेहनत करके लोडिंग अनलोडिंग का काम करना पड़ता है। जिसमें खतरा भी ज्यादा रहता है और मेहनत भी ज्यादा लगती है। बैगन में से बोरों को पीठ पर लादकर उन्हें ट्रक में लोड किया जाता है, ट्रकों पर पटिए के सहारे हम्माल चढ़ते हैं जिससे दुर्घटना का भी खतरा ज्यादा रहता है। रेलवे माल गोदाम पर कई बार ऐसी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिससे हम्माल बुरी तरह से घायल हुए हैं, लेकिन अब मशीनों से काम होने के बाद दुर्घटना का खतरा लगभग पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

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