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Bada Ka Jugad: किसान का ने ऐसा लगाया जुगाड़ की अब बैल और गाड़ी की नहीं पड़ेगी जरूरत

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Kabad se Jugad अधिकांश किसानों ने गेहूं, चने आदि की बोवनी भी कर दी है, लेकिन ठंड का असर कम होने से कई किसान अच्छी ठंड का इंतजार भी कर रहा है, क्योंकि जितनी ज्यादा ठंड पड़ेगी, उतनी ही ज्यादा रबी की फसल में मुनाफा होगा।

Kabad se Jugad: नगर सहित खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसानों के पशु लंपी वायरस की चपेट में आकर मौत के घाट उतर गए हैं, तो कई पशु वर्तमान में इन बीमारियों से जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। जिनका उपचार किसानों द्वारा लगातार कराया जा रहा है, लेकिन अभी तक बीमारी से छुटकारा नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि इन दिनों किसानों को कृषि कार्य करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रहा है। बड़ी संख्या में बैल भी लंपी वायरस की चपेट में हैं। ऐसे में किसानों ने देशी जुगाड़ कर बाइक ट्राली बनाई है, जिसका उपयोग करना भी प्रारंभ कर दिया है। इसमें किसान अपने खेतों से कपास, मक्का आदि उपज को अपने घर तक ला रहे हैं।

किसान का ने ऐसा लगाया जुगाड़ की

किसानों का कहना है कि गोवंशी पर पिछले चार माह से लंबी वायरस का कहर टूट हुआ है। इसके चलते कई गोवंशी मौत के घाट भी उतर गए हैं। इससे कृषि संबंधित कार्य में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैक्टरों से कृषि संबंधित कार्य महंगे पड़ते हैं किसान को कार्य करवाने में काफी परेशानी होती है तो किसान भी जुगाड़ लगा रहता है ऐसे ही एक किसान ने मोटर सायकल से कुछ ऐसा जुगाड़

बावजूद पशुओं की हालत देखकर किसानों को महंगे दाम देकर भी ट्रैक्टर का उपयोग लेना पड़ रहा है। गरीब वर्ग के किसान ट्रैक्टर से खेती कार्य करने में असमर्थ है, क्योंकि वह अपने परिवार का पालन-पोषण मजदूरी कार्य कर ही करते हैं।

खेती में काम करने के लिए वह ट्रैक्टर का सहारा न लेते हुए बैलों की सहायता से हल, बक्खर, खुरपा, बैलगाड़ी आदि चलाने का काम करते हैं, लेकिन वर्तमान समय में लंपी वायरस से बैल ग्रसित होने के कारण किसान चिंतित हैं। इस प्रकार की गंभीर समस्या को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्र के कई किसानों ने अपनी उपज को घर तक पहुंचाने के लिए बाइक ट्राली का भी उपयोग करना प्रारंभ कर दिया है। वर्तमान में ग्रसित बैलों का बैलगाड़ी थामना मुसीबत बन चुका है।

ट्रैक्टरों से उपज घर लाना महंगा

किसान गोपाल मौर्य, सुरेश मुवेल, लखन भवेल, महादेव मुवेल, प्रताप भवेल, कैलाश मुवेल, सुखलाल निगवाल, महादेव मुवेल, पप्पू मौर्य, मड़िया मुवेल आदि ने चर्चा में बताया कि वर्तमान में पशु लंपी वायरस से ग्रसित है, जिसके चलते हमने देसी जुगाड़ अपनाकर बाइक ट्राली का उपयोग करना प्रारंभ कर दिया है। क्योंकि वर्तमान में ट्रैक्टरों से उपज को घर तक पहुंचाने में उनका दाम महंगा पड़ रहा है। अधिकांश ट्रैक्टर-ट्राली वाले समय पर नहीं आते हैं। इसके चलते रबी फसल की बोवनी कार्य में लेटलतीफी होने से यह तरीका अपना रहे हैं। बाइक ट्राली से कार्य करने पर हमारा काम समय अनुसार हो सकेगा। कई किसान रबी फसल की बोवनी में भी जुट गए हैं।

अब बैल और गाड़ी की नहीं पड़ेगी जरूरत

अधिकांश किसानों ने गेहूं, चने आदि की बोवनी भी कर दी है, लेकिन ठंड का असर कम होने से कई किसान अच्छी ठंड का इंतजार भी कर रहा है, क्योंकि जितनी ज्यादा ठंड पड़ेगी, उतनी ही ज्यादा रबी की फसल में मुनाफा होगा। गत वर्ष नवंबर के प्रथम सप्ताह से ही ठंड का कहर टूट पड़ा था, लेकिन इस वर्ष सुबह व शाम को ठंड का असर दिखाई दे रहा है। हालांकि दिन के समय तप रहा है। इसके चलते गेहूं व चने की फसल का ग्रोथ भी रुक जाती है व कम उपज आने की संभावनाएं बनी रहती है।

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