Kheti Kisani : मक्के की खेती, लाभदायक विकल्प, जरूरी हैं ये सावधानियां

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गेहूं के बाद दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल

Kheti Kisani – मक्का भारत में गेहूं के बाद दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है. इसका इस्तेमाल अनाज के रूप में तो किया ही जाता है, साथ ही पशुओं के चारे के लिए भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है. इसकी बहुउपयोगिता को देखते हुए किसानों के लिए मक्का की खेती एक लाभदायक विकल्प हो सकती है. हालांकि, अच्छी पैदावार के लिए कुछ सावधानियां भी बरतनी जरूरी हैं.

मक्के की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी:

मक्का गर्म जलवायु वाली फसल है. इसकी खेती के लिए 20 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान उपयुक्त माना जाता है. वहीं मिट्टी के मामले में अच्छी जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है.

बुवाई का समय और तरीका | Kheti Kisani

भारत में आमतौर पर खरीफ सीजन (जून से सितंबर) में मक्के की खेती की जाती है. बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें और खरपतवार साफ कर लें. इसके बाद बीजों को कतारों में बोएं.

सिंचाई और खाद प्रबंधन:

मक्के की फसल को नियमित सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन जलभराव से बचना भी जरूरी है. खाद प्रबंधन में भी संतुलन बनाए रखना चाहिए. नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश युक्त खादों का इस्तेमाल मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करें.

फसल की निगरानी और रोग-जंतु नियंत्रण | Kheti Kisani

मक्के की फसल पर तना छेदक और फॉल आर्मीवورم जैसे कीटों का प्रकोप हो सकता है. साथ ही कुछ रोग भी लग सकते हैं. इसलिए फसल की नियमित निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर कृषि विभाग से सलाह लेकर ही कीटनाशक या रोगनाशक दवाओं का प्रयोग करें.

कटाई और भंडारण:

जब दाने पककर कठोर हो जाएं और सूखने लगें तो मक्के की कटाई का सही समय होता है. कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखाकर भंडारित करें. भंडारण के लिए साफ, सूखी और हवादार जगह का चुनाव करें.

सरकारी सहायता | Kheti Kisani

कई सरकारी योजनाओं के तहत मक्के की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. ये योजनाएं किसानों को सब्सिडी, बीज और तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं. जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विभाग से संपर्क करें.

मक्के की खेती किसानों के लिए आय का एक अच्छा जरिया बन सकती है. लेकिन सफल खेती के लिए जलवायु, मिट्टी, बुवाई, सिंचाई, खाद प्रबंधन और रोग नियंत्रण जैसे सभी पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर और कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है.

Source – Internet  

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