घर में ही मौजूद सामान से तैयार करें ख़ास अर्क
Kheti Kisani – भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां किसान धान, गेहूं, दलहन, तिलहन, और बागवानी जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते हैं, जिससे उन्हें अच्छी इनकम होती है। हालांकि, कई बार आवारा मवेशी और नीलगाय फसलों को हानि पहुंचा देती हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।
अब, किसानों को इस समस्या से निजात प्राप्त करने के लिए एक नई तकनीक विकसित की गई है। इस तकनीक की सहायता से, फसल को आवारा मवेशी और नीलगाय से बचाया जा सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान से मुक्ति मिलती है।
इस तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को अधिक खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी। विशेष बात यह है कि किसानों के पास घर में ही वह सारा उपकरण होता है, जिससे वे अपनी फसल को आवारा जानवरों और नीलगाय से बचा सकते हैं।
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अर्क तैयार करने की प्रक्रिया | Kheti Kisani
इसके लिए, किसानों को पांच लीटर गोमूत्र, एक किलो नीलगाय का गोबर, ढाई किलो बकाईन की पत्ती, ढाई किलो नीम की पत्ती, एक किलो धतूरा, एक किलो मदार की पत्ती, 250 ग्राम पत्ता सुर्ती, 250 ग्राम लाल मिर्च का बीज और 250 ग्राम लहसुन को मिला देना होगा। इसके बाद, इसे मिट्टी के पात्र में डालकर 25 दिनों के लिए प्रिजर्व करना होगा। यहां एक महत्वपूर्ण बात है कि प्रिजर्व करने के लिए मिट्टी के पात्र का मुंह अच्छी तरह से बंद कर देना चाहिए, ताकि इसमें हवा का प्रवेश नहीं हो सके। साथ ही, उस पात्र का 1.3 हिस्सा खाली रहना चाहिए, क्योंकि फ्रेगमेंटेशन के बाद कार्बनिक गैस उत्पन्न होने से बर्तन फट सकता है।
वहीं, 25 दिनों के बाद आपको मिट्टी के पात्र को खोलना होगा और मिश्रण को दूसरे बर्तन में निकालना होगा। 25 दिनों के स्थायी होने के बाद, यह मिश्रण गंधयुक्त एक जैविक औषधि में परिणामित हो जाएगी। इसके बाद, आपको 50 फीसदी औषधि को 100 लीटर पानी में मिलाना होगा। उसके बाद, आपको 250 ग्राम सर्फ मिलाकर प्रति बीघा छिड़काव करना चाहिए। इस गंध से कोई भी जानवर आपके खेत के आस-पास नहीं आएगा।
फसलें जिन पर छिड़काव करें | Kheti Kisani
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दवा की असरदारता में उसकी आयु का असर होता है। इस तरह, किसान दलहन, गेहूं, गन्ना, मक्का और सभी प्रकार की फसलों पर छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा, चाहे तो सब्जियों पर भी इस स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं। किसानों को इस दवा को हमेशा सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए, क्योंकि दवा में जितनी अधिक गंध होगी, उतनी ही उसकी कारगरता रहेगी।
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