Kawad Yatra 2024 : कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर मालिक लिखे अपना नाम

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हलाल सर्टिफिकेशन प्रोडक्ट बेचे तो होगी कार्रवाई

Kawad Yatra 2024लखनऊ(ई-न्यूज) – उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का आदेश इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल मुख्यमंत्री योगी ने कांवड़ा यात्रा के मार्ग पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों को अपना-अपना नाम लिखने के आदेश दिए हैं। सरकार का कहना है कि कांवड़ यात्रियों की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया है। इसके अलावा, हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी। पुलिस का तर्क था कि इससे कांवड़ यात्रियों में कंफ्यूजन नहीं होगा। मतलब, दुकानदार का धर्म पता चल सकेगा।

पुलिस के आदेश पर देशभर में प्रतिक्रिया आई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पुलिस के इस फैसले को सामाजिक अपराध बताया था। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तानाशाह फैसला बताया था। इस साल कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है, जो 19 अगस्त तक चलेगी। यूपी में हर साल 4 करोड़ कांवडि़ए हरिद्वार से जल उठाते हैं।

संतों ने सरकार के फैसले का किया स्वागत | Kawad Yatra 2024

यूपी सरकार के फैसले का काशी के संतों ने स्वागत किया है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा- आखिर इस बात का अलग-अलग राजनीतिक दल और मुस्लिम समाज विरोध क्यों कर रहा है? कल तक आप हलाल समान बेचते थे तो हमने तो कोई प्रश्न नहीं उठाए। आप पहचान छुपाकर के व्यापार क्यों करना चाहते हैं।

फैसले में कोई आपत्ति नहीं

यूपी के पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा-यह स्वागत योग्य फैसला है। आदेश में यह नहीं कहा गया है कि किसे कहां से सामान खरीदना है, जो जहां से चाहे वहां से सामान खरीद सकता है। व्रत, त्योहार, कांवड़ यात्रा के कुछ नियम हैं उनका उल्लंघन न हो। इस नीयत से यह निर्णय लिया गया है।

धर्म विशेष के आर्थिक बायकाट की कोशिश | Kawad Yatra 2024

योगी सरकार के फैसले को मायावती ने असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला चुनावी लाभ के लिए किया है। सरकार की यह प्रयास धर्म विशेष के लोगों का आर्थिक बायकाट करने का है। यह फैसला निन्दनीय है।

सरकार ने दूर किया सांप्रदायिक भ्रम

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा- एक सीमित प्रशासनिक दिशा निर्देश के कारण इस तरह का असमंजस हुआ था, मुझे खुशी है कि राज्य सरकार ने जो भी सांप्रदायिक भ्रम पैदा हुआ था, उसे दूर किया है। मेरा यही कहना है कि इस तरह के विषयों पर किसी को सांप्रदायिक भ्रम फैलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यह किसी मुल्क, मजहब, मानवता के लिए अच्छा नहीं है। आस्था का सम्मान और आस्था की सुरक्षा पर सांप्रदायिक सियासत नहीं होनी चाहिए। साभार…