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ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यन निर्विरोध MPCA अध्यक्ष चुने गए

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भोपाल। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया कल एमपीसीए के निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। इस पद के लिए कोई और नामांकन नहीं भरा गया, एसोसिएशन के अन्य पदों पर भी चुनाव निर्विरोध ही हो गए है। एमपीसी की कल होने वाली एजीएम में भाग लेने और बेटे को अध्यक्ष बनता देखने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इंदौर पहुंच जाएंगे। बड़ी बात यह है कि महाआर्यमन सिंधिया परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो एमपीसीए की कमान संभालने वाले है।

संजय जगदाले ने निभाई अहम भूमिका

महाआर्यमन सिंधिया के लिए सबसे मजबूत जमावट संजय जगदाले ने की। उन्होंने सिंधिया पुत्र महाआर्यमन सिंधिया के लिए माहौल बनाया और सभी पक्षों को राजी करने में बड़ी भूमिका निभाई। कल इंदौर के होलकर स्टेडियम स्थित एमपीसीए कार्यालय में पहले एजीएम होगी और फिर सिंधिया की ताजपोशी। चूंकि विरोध में कोई नामांकन नहीं है इसलिए मतदान की स्थिति नहीं बनेगी। सभी पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हो जाएगा, इसी के साथ मप्र ही नहीं, देश के क्रिकेट एसोसिएशनों का एक नया इतिहास लिखा जाएगा क्योंकि देश के किसी भी राज्य के क्रिकेट एसोसिएशन में एक ही परिवार की तीसरी पीढ़ी ने कमान नहीं संभाली है। मप्र में कल ऐसा होगा जब महाआर्यमन के दिवंगत दादा माधवराव सिंधिया और पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मप्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। पूर्व रंणजी खिलाड़ी अमरदीप पठानिया ने सहसचिव पद और क्लब सदस्य के लिए नामांकन जमा किया था। रविवार को पठानिया ने फॉर्म वापस ले लिया, वहीं राकेश भार्गव और प्रेम पटेल ने नामांकन लिया लेकिन जमा नहीं किया। एजीएम में सुधीर असनानी के सचिव, अरुंधति किरकिरे के सहसचिव, विनीत सेठिया के उपाध्यक्ष और संजीव दुआ के कोषाध्यक्ष पद की घोषणा कर दी जाएगी,मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ एम. मुदस्सर सभी निर्वाचित पदाधिकारियों की लिस्ट एमपीसीए कार्यालय पर लगा चुके हैं।

एमपीसीए का नया अध्याय शुरू होगा!

महाआर्यमन सिंधिया के युवा नेतृत्व पर एमपीसीए के सदस्यों ने भी विश्वास जताया है। उनके द्वारा आयोजित एमपीएल क्रिकेट लीग की सफलता से उनके एमपीसीए के अध्यक्ष पद से जोड़ा जा रहा है, सदस्यों को उम्मीद है कि उनके आने से एमपीसीए का नया अध्याय शुरू होगा। महाआर्यमन सिंधिया के युवा नेतृत्व पर हर कोई विश्वास जता रहा है, सदस्यों ने उन्हें और पूरी कमिटी को एक परिवार की तरह निर्विरोध चुना है। इसके पहले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय 2 बार प्रेसिडेंट पद पर चुनाव लड़ चुके हैं, पहली बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था, जबकि दूसरी बार चुनाव वाले दिन उन्होंने अपना नाम वापस ले लिए था।

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