बैतूल – आरक्षी गृह कोतवाली बैतूल ने पांच आरोपियों के विरूद्ध भादसं की धारा 376(डी)धारा 392, 365, 506 एवं एससी, एसटी एक्ट 3(1)(डब्ल्यू)आई, 3(२) 5 ए के तहत अपराध क्रमांक 528/2018 से सामूहिक बलात्कार का प्रकरण कायम किया था।
तथाकथित घटना के मुताबिक 7 जुलाई 2018 को आरोपी प्रभुदयाल यादव ने पीड़िता को अपनी आटो में बिठाकर उसे सोनाघाटी के पास जंगल में ले गया। वहां उसके साथ गलत काम किया। इनके अलावा चार आरोपी सलीम शेख, राकेश भलावी, सचिन शर्मा एवं रज्जू उइके ने भी उसके साथ गलत काम किया था।
अभियोजन ने लगाए आरोपों को सिद्ध करने के लिए पीड़िता, विजय राठौर, अतुल उइके, अंकुश उइके, राकेश राठौर, महिला आरक्षक विनीता, आरक्षक मयूर, बल्लू, एएसआई अंजना मालवी, प्रधान आरक्षक बसंत ढोलेकर, डॉ. अंकिता मर्सकोले, प्रधान आरक्षक आकाश सेठिया, आरक्षक हाकम सिंह, मीरा सिरोही, डॉ. मेघा वर्मा, डॉ. एस. कुमार, प्रधान आरक्षक विनायक सिंह, महेश जैन रीडर एसडीएम, नायब तहसीलदार मोनिका विश्वकर्मा, विवेचक एसडीओपी आनंद राय, नायाब तहसीलदार ओमप्रकाश चोरमा के कथन करवाए थे।
सत्र प्रकरण 106/2018 में विशेष सत्र न्यायाधीश(एससी, एसटी) बैतूल ने अपने फैसले में पुलिस द्वारा लगाए आरोपों को प्रमाणित नहीं माना। आरोपियों की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत गर्ग, हीरामन सूर्यवंशी, संजय शुक्ला, सादिक खान, पूरन राठौर, सजल गर्ग, राघवेन्द्र रघुवंशी ने की। माननीय उच्च न्यायालय तक ने प्रकरण में अत्याधिक गम्भीरता मानते हुए हिरासत में रहे आरोपियों को जमानत नहीं दी थी। इस सामूहिक बलात्कार में माननीय न्यायालय ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त किया।