दोनों आरक्षित सीटों पर दिखा प्रभाव
JAYS – Congress – बैतूल – प्रदेश स्तर पर यह बताया गया था कि कांग्रेस और जयस के बीच एडजस्टमेंट हो गया और जयस के प्रदेशाध्यक्ष हीरालाल अलावा सहित दो अन्य उम्मीदवारों को कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर लडऩे के लिए मैदान में उतार दिया गया था। डॉ. हीरालाल अलावा चुनाव जीत भी गए हैं लेकिन बैतूल में इस समझौते का कोई असर दिखाई नहीं दिया और जयस के जिलाध्यक्ष संदीप धुर्वे और भौंरा क्षेत्र की फायरब्रांड महिला नेत्री स्मिता राजा धुर्वे निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव मैदान में उतर गए।
- ये खबर भी पढ़िए : – Desi Jugad Ka Video – पापा ने बच्चे को दूध पिलाने लगाया कमाल का जुगाड़
भैंसदेही से धरमू का हुआ नुकसान | JAYS – Congress
चुनाव शुरू होने के पहले कांग्रेस द्वारा जयस के जिलाध्यक्ष संदीप धुर्वे को चुनाव मैदान में न उतरने को लेकर मान मनौव्वल होती रही। कांग्रेस के एक विधायक और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी संदीप धुर्वे से मिले और उसे चुनाव ना लडऩे के लिए कहा गया लेकिन बताया जा रहा है कि संदीप धुर्वे ने कहा कि मुझे तो उम्मीदवार घोषित हुए बगैर और किसी बात पर समझौता नहीं करना है। समझौता नहीं हुआ और संदीप धुर्वे भी भैंसदेही सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर गए। मतगणना के बाद स्पष्ट हो गया कि संदीप धुर्वे कांग्रेस प्रत्याशी की जीत में सबसे बड़े बाधा बने।
भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सिंह चौहान को 97938 वोट मिले और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी धरमूसिंह को 8389 वोटों से हरा दिया। जबकि संदीप धुर्वे को 10478 वोट मिले और यही वोट धरमूसिंह के लिए भारी पड़ गई। इसी तरह से कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता रामा काकोडिय़ा भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए थे। उन्होंने भी 942 वोट लेकर धरमू की जीत में एक रोड़ा और अटका दिया।
राहुल उइके की हार में भी स्मिता का रोल | JAYS – Congress
घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट से भाजपा की गंगाबाई सज्जन सिंह उइके मात्र 4213 वोटों से चुनाव जीत गई। इस सीट पर भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस से जुड़ी रही स्मिता राजा धुर्वे ने 6150 वोट लेकर कांग्रेस उम्मीदवार राहुल उइके की जीत में ब्रेक लगा दिया।
जबकि पिछले चुनाव में कांग्रेस के ब्रम्हा भलावी करीब 17 हजार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीते थे। लेकिन उम्मीदवार की घोषणा के दिन कांग्रेस ने जिले के चार में से तीन जीते उम्मीदवारों को टिकट तो दे दी लेकिन ब्रम्हा भलावी को धोखा दे दिया और इस सीधे साधे जुझारू नेता को घर बैठा दिया। लेकिन मतदाताओं ने भी कांग्रेस को पराजित कर ब्रम्हा की टिकट कटने का अप्रत्यक्ष बदला ले लिया। यदि स्मिता राजा धुर्वे को कांग्रेस मना लेती तो कांग्रेस उम्मीदवार विधानसभा में होता।
- ये खबर भी पढ़िए : – Digital Mala – ये है नए युग की जपने वाली डिजिटल माला