श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए 4 द्वार
जगन्नाथ धाम, अर्थात् धरती का बैकुंठ, ओडिशा में स्थित है। नई सरकार के बनने के बाद, बीजेपी सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए जगन्नाथ पुरी मंदिर के चार द्वारों को खोल दिया है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इसकी घोषणा बुधवार को की। कोरोना महामारी के बाद से श्रद्धालुओं को एक ही द्वार से मंदिर में प्रवेश करना पड़ रहा था, जिससे भीड़ और परेशानी होती थी। अब भक्त जगन्नाथ मंदिर के सभी चार द्वारों से प्रवेश कर सकते हैं। इससे भीड़ से बचने में मदद मिलेगी और प्रवेश की सुविधा भी बेहतर होगी। जगन्नाथ मंदिर के इन चार द्वारों के महत्व के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
मंदिर के चार द्वार | Jagannath Mandir Story
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जगन्नाथ मंदिर के बाहरी दीवार पर पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी चार द्वार हैं। इन द्वारों का पहला नाम सिंहद्वार (शेर का द्वार) है, दूसरा व्याघ्र द्वार (बाघ का द्वार), तीसरा हस्ति द्वार (हाथी का द्वार), और चौथा अश्व द्वार (घोड़े का द्वार) है। इन चार द्वारों को धर्म, ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य के प्रतीक माना जाता है।
मंदिर के पूर्वी द्वार, जिसे सिंहद्वार भी कहते हैं, जगन्नाथ मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है। इस द्वार पर झुकी हुई मुद्रा में दो शेरों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इसे माना जाता है कि इस द्वार से मंदिर में प्रवेश करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मंदिर का पश्चिमी द्वार, जिसे व्याघ्र द्वार कहा जाता है, पर बाघ की प्रतिमा स्थापित है। यह द्वार हर पल धर्म के पालन की शिक्षा देता है और बाघ को इच्छा का प्रतीक भी माना जाता है। विशेष भक्त और संत इसी द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं।
मंदिर का उत्तरी द्वार, जिसे हस्ति द्वार कहा जाता है, मंदिर के इस द्वार के दोनों तरफ हाथियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। हाथी को माता लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। इन मूर्तियों को मुगलों के आक्रमण के बाद क्षति पहुंची थी, लेकिन बाद में इनकी मरम्मत कर मंदिर उत्तरी द्वार पर रख दिया गया। यहाँ कहा जाता है कि ये द्वार ऋषियों के प्रवेश के लिए है।
मंदिर का दक्षिणी द्वार, जिसे अश्व द्वार कहा जाता है, के दोनों तरफ घोड़ों की मूर्तियां स्थापित हैं। इन घोड़ों की पीठ पर भगवान जगन्नाथ और बालभद्र युद्ध में सवार हैं। इस द्वार को विजय के रूप में जाना जाता है।
22 सीढ़ियों का रहस्य
पुरी के जगन्नाथ धाम मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं। इन सभी सीढ़ियों का धार्मिक मान्यता में माना जाता है कि ये मानव जीवन की 22 कमजोरियों को प्रतिनिधित्त करती हैं और बहुत ही रहस्यमयी हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इन सीढ़ियों से होकर गुजरने वाले भक्तों को तीसरी सीढ़ी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मान्यता है कि मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर रखना अशुभ है, क्योंकि यहां तीसरी पीढ़ी पर यम शिला स्थित है। अगर किसी ने इस सीढ़ी पर पैर रख दिया तो माना जाता है कि उनका सम्पूर्ण पुण्य नष्ट हो जाता है और वे बैकुंठ की जगह यमलोक जाने के लिए तत्पर हो जाते हैं। इसी कारण भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जाते समय भक्तों को तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखने की सलाह दी जाती है।
दिखाई देती हैं 18 सीढ़ियां | Jagannath Mandir Story
मान्यता के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 18 सीढ़ियां दिखाई देती हैं। अनादा बाजार की दिशा में दो सीढ़ियों को जोड़ने से इनकी संख्या 20 हो जाती है। 21वीं और 22वीं सीढ़ी मंदिर की रसोई की दिशा में स्थित हैं। इन सभी सीढ़ियों की ऊंचाई और चौड़ाई 6 फीट है, जबकि कुछ सीढ़ियां 15 फीट चौड़ी भी हैं और कुछ 6 फीट से छोटी हैं। भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए इन सभी सीढ़ियों को पार करना पड़ता है।
तीसरी सीढ़ी से बचने की सलाह
मान्यता के अनुसार, इन सीढ़ियों पर कदम रखने से इंसान के भीतर की बुराइयां दूर हो जाती हैं। लेकिन भगवान के दर्शन कर वापस लौटते समय तीसरी सीढ़ी से बचने की सलाह दी गई है। पुराणों में तीसरी सीढ़ी को ‘यम शिला’ कहा गया है। कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ ने तीसरी सीढ़ी यमराज को देते हुए कहा था कि जब भी कोई भक्त दर्शन से लौटते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर रखेगा, तो उसके सभी पुण्य खत्म हो जाएंगे और वह बैकुंठ की बजाय यमलोक जाएगा।