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इसरो-नासा का ‘निसार’ सैटेलाइट: आज रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा  

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नई दिल्ली। भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों—इसरो (इसरो) और नासा (नासा) की साझा परियोजना निसार अब लांच के अंतिम चरण में है। इस सैटेलाइट को 30 जुलाई को भारत के जीएसएलपवी-एफ 16 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसकी लागत करीब 1.3 बिलियन डॉलर (लगभग 11,240 करोड़ रुपये) है। यह अब तक का सबसे महंगा पृथ्वी अवलोकन उपग्रह माना जा रहा है।
इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने बताया कि निसार एक उच्च तकनीकी रडार सैटेलाइट है, जो हर मौसम और दिन-रात पृथ्वी की निगरानी करने में सक्षम है। यह सैटेलाइट 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होगा और दुनिया के तमाम क्षेत्रों में होने वाले भौगोलिक परिवर्तनों को रिकॉर्ड करेगा।
निसार की प्रमुख विशेषताएं: इस इसरो और नासा द्वारा मिलकर विकसित किया गया है। नासा का योगदान लगभग 1.15 बिलियन डॉलर, जबकि इसरो ने करीब 800 करोड़ रुपये का निवेश किया। सैटेलाइट का कुल भार 2,392 किलोग्राम है। इसमें नासा का एल-बैंड और इसरो का एस-बैंड रडार शामिल है, जिससे सतह और उप-सतह दोनों का विश्लेषण संभव है। जालीदार रिफ्लेक्टर एंटीना स्कूल बस के आकार का है, जो इसे अधिक सतह कवर करने में सक्षम बनाता है। यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पूरे ग्लोब का स्कैन करेगा और डेटा भेजेगा।

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