इंटरमिटेंट फास्टिंग और हार्ट डिज़ीज़ का खतरा
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग से भले ही वजन तेजी से घटे, लेकिन लंबे समय तक इसे अपनाना स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। जर्नल Diabetes and Metabolic Syndrome: Clinical Research and Reviews में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, गलत तरीके से इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से हार्ट डिज़ीज़ से मौत का खतरा 135% तक बढ़ सकता है।
19 हज़ार लोगों पर किया गया शोध
इस रिसर्च में अमेरिका के करीब 19,000 लोगों की खानपान की आदतों और उनके स्वास्थ्य पर असर का अध्ययन किया गया। पाया गया कि जो लोग रोज़ाना 8 घंटे से कम समय में भोजन करते थे, उनमें हृदय रोग से मृत्यु का खतरा सबसे अधिक था। वहीं, जो लोग सामान्य 12–14 घंटे की अवधि में भोजन करते थे, उनमें यह जोखिम काफी कम पाया गया।
डॉक्टरों की राय
फ़ोर्टिस सी-डॉक के चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा के अनुसार, उपवास खत्म होने के बाद लोग अक्सर जंक फूड या असंतुलित आहार लेने लगते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है।
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सावधानी ज़रूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग को लंबे समय तक नहीं अपनाना चाहिए। खासकर जिन लोगों को पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, उन्हें यह डाइट केवल डॉक्टर की सलाह से ही करनी चाहिए। लंबे समय तक ऐसा करने से शरीर में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की कमी हो सकती है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर पड़ती है और अनियमित हार्टबीट जैसी गंभीर स्थितियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।
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