Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

इंदौर की हवा सबसे जहरीली, प्रदूषण का स्तर लगातार हो रहा खतरनाक

By
On:

इंदौर: इंदौर में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर खतरनाक होता जा रहा है। एक अप्रैल से लगातार एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 100 से ऊपर बना हुआ है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, AQI भी बढ़ता जा रहा है। शहर के सीमावर्ती इलाकों में पराली जलाने की घटनाओं से प्रदूषण और बढ़ रहा है। छोटी ग्वालटोली स्थित रियल टाइम प्रदूषण स्टेशन के मुताबिक 9 अप्रैल को शहर का AQI लेवल 236 पर पहुंच गया था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक सोमवार को AQI 158 था, जबकि रविवार को यह 147 दर्ज किया गया। PM-10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में भी काफी बढ़ोतरी देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि AQI 100 से ऊपर होने पर यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और सांस के रोगियों के लिए।

IIT इंदौर की रिपोर्ट में खुलासा- MP में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

IIT इंदौर की ओर से किए गए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के नागरिक साल में औसतन 70 से 80 दिन बेहद प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, जो पहले 15 से 25 दिन ही हुआ करता था। हालांकि मप्र का प्रदूषण स्तर दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश से थोड़ा कम है, लेकिन यह स्थिति अभी भी चिंता का विषय है। यह अध्ययन आईआईटी इंदौर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. मनीष कुमार गोयल और उनकी टीम ने किया है, जिसे 'टेक्नोलॉजी इन सोसाइटी' जर्नल में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मप्र में पीएम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 40-45 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि प्रदूषण के चरम दिनों में यह 200-250 तक पहुंच जाता है।

डब्ल्यूएचओ के मानकों से कई गुना ज्यादा प्रदूषण, महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने बताया कि मप्र में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से 8 से 9 गुना ज्यादा है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्रदूषण से महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं, जिसका मुख्य कारण घरेलू स्तर पर ठोस ईंधन (जैसे लकड़ी और कोयला) से खाना पकाने के कारण उत्पन्न होने वाला धुआं है। प्रो. मनीष गोयल ने यह भी कहा कि पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण बेहद खतरनाक होते हैं, क्योंकि वे फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे कणों से शरीर को बचाने के लिए कोई प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली नहीं है, जिसके कारण यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

विकास कार्य, बढ़ती गर्मी और हरियाली की कमी से बढ़ रहा है प्रदूषण

मध्य प्रदेश में बढ़ते AQI स्तर के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण सामने आए हैं, जिनमें प्रमुख हैं- शहरों में तेजी से हो रहे विकास कार्य, वाहनों की संख्या में वृद्धि, गर्मियों में एसी का बढ़ता उपयोग और हरियाली की कमी। इसके अलावा हवा की धीमी गति भी प्रदूषण बढ़ने का बड़ा कारण बन रही है। अधिकारियों के अनुसार, जब तेज हवा चलती है, तो प्रदूषित कण वातावरण में फैल जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर कम हो जाता है। लेकिन जब हवा कम चलती है, तो ये कण वहीं जम जाते हैं और AQI बढ़ा देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब AQI 100 से ऊपर पहुंच जाता है, तो इससे आंखों में जलन, गले में खराश और फेफड़ों की समस्या हो सकती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

For Feedback - feedback@example.com
Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News