नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए अतिरिक्त 25% शुल्क का असर भारतीय वस्त्र उद्योग पर सबसे ज्यादा पड़ने वाला है। अब अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर कुल 50% सीमा शुल्क लागू हो गया है। इस झटके से निपटने के लिए भारत सरकार ने नया प्लान तैयार किया है।
सरकार ने टेक्सटाइल उद्योग को बचाने और निर्यात बढ़ाने के लिए 40 देशों से संपर्क करने की योजना बनाई है। इसमें ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मेक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्किये, यूएई और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े बाजार शामिल हैं।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत इन देशों में विश्वसनीय और टिकाऊ वस्त्र आपूर्तिकर्ता बनने पर काम करेगा। भारतीय मिशन और निर्यात प्रोत्साहन परिषदें (EPC) इसमें अहम भूमिका निभाएंगी। वर्तमान में भारत 220 से अधिक देशों को वस्त्र निर्यात करता है, लेकिन ये 40 देश अकेले करीब 590 अरब डॉलर का वस्त्र आयात करते हैं। इसमें भारत की हिस्सेदारी अभी केवल 5-6% है।
10.3 अरब डॉलर का झटका
अमेरिकी टैरिफ से वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा, मछली, रसायन और मशीनरी निर्यात पर असर पड़ेगा। अकेले वस्त्र निर्यात को 10.3 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
AEPC महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि अतिरिक्त 25% शुल्क से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में 30-31% तक घट गई है। इससे भारतीय वस्त्र उद्योग अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर हो गया है।
वित्तीय राहत और नए समझौते की तैयारी
उद्योग ने सरकार से तत्काल वित्तीय राहत की मांग की है। साथ ही ब्रिटेन और EFTA देशों के साथ व्यापार समझौतों पर काम शुरू कर दिया गया है। योजना के तहत निर्यात बाजारों का आकलन, उच्च मांग वाले उत्पादों की पहचान और 'ब्रांड इंडिया' अभियान के जरिए अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों व मेलों में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
सूरत, तिरुपुर और भदोही जैसे क्लस्टरों को वैश्विक अवसरों से जोड़ा जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीतिक प्रयास भारत को वैश्विक वस्त्र निर्यात बाजार में मजबूत स्थिति दिला सकता है।