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ओवल में भारत की ऐतिहासिक जीत… खिलाड़ियों के लिए भी एक यादगार संदेश

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नई दिल्ली : शुभमन गिल के नेतृत्व वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड में अपने प्रदर्शन से फैंस का दिल जीत लिया. ओवल में खेले गए पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के आखिरी मुकाबले में टीम इंडिया ने हारी हुई बाजी को अपने नाम किया. भारतीय खिलाड़ियों ने सेटबैक लगने से पहले जबरदस्त फाइटबैक किया और इंग्लैंड को 6 रनों से शिकस्त दी. ये शानदार जीत दुनिया ही नहीं टीम इंडिया के खिलाड़ियों के लिए भी एक मैसेज है. ये संदेश उन खिलाड़ियों के लिए है जो खुद को टीम से बड़ा समझने लगे हैं.

तेंदुलकर-एंडरसन टेस्ट सीरीज को कई वजहों के याद किया जाएगा. इसकी गिनती क्रिकेट इतिहास के सबसे रोमांचक टेस्ट सीरीज में होगी. हारी हुई बाजी को कैसे अपने नाम किया जाता है, ऐसे भी इस सीरीज को याद किया जाएगा. ये काम सिर्फ भारत ने ही इंग्लैंड ने भी किया. इस सीरीज ने बता दिया कि असली क्रिकेट तो टेस्ट क्रिकेट ही है और ये अब भी जिंदा है. 5 मैचों की सीरीज के आखिरी दिन जब फैसला आए तो उससे अंदाजा लगाया जा सकता है ये श्रृंखला कितनी रोमांचक रही होगी.

इस सीरीज को खिलाड़ियों का देश के प्रति जो प्रेम है उसके तौर पर भी जाना जाएगा. बात चाहे ऋषभ पंत की हो या क्रिस वोक्स की. पंत पैर में चोट के बावजूद बल्लेबाजी करने उतरे तो वोक्स कंधा टूटने के बाद भी अपने देश को जीत दिलाने के लिए मैदान पर आए. इस सीरीज को मोहम्मद सिराज के जज्बे के लिए भी याद किया जाएगा. टीम इंडिया का ये तेज गेंदबाज सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला बॉलर रहा. उसने 23 विकेट अपने नाम लिए.

सिराज के जज्बे को सलाम

भारत और इंग्लैंड की ओर से सिर्फ दो ही तेज गेंदबाज थे जो पांचों मैच खेले. इसमें इंग्लैंड के क्रिस वोक्स और भारत के सिराज थे. सिराज आखिर तक लड़े. 1100 से ज्यादा गेंदे फेंकी. उनके इस जज्बे और प्रदर्शन ने दिखा दिया कि उनकी डिक्शनरी में वर्कलोड मैनेजमेंट शब्द ही नहीं है. 5 मैचों की टेस्ट सीरीज लंबी होती है, लेकिन सिराज को देखकर ऐसा लगा ही नहीं. उन्होंने ओवल टेस्ट में इंग्लैंड की चौथी पारी में 146 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी. ये साबित करता है उन्होंने इस मैच में पूरी जान लगा दी.

वो सिराज जो चौथे दिन हैरी ब्रुक का कैच टपकाकर विलेन बनने जा रहे थे वो पांचवें दिन इंग्लैंड के 4 में से 3 विकेट निकालकर टीम इंडिया की जीत के हीरो बन गए. 31 वर्षीय सिराज की हर एक गेंद में जान नजर आ रही थी. हर बॉल विकेट टेकिंग लग रही थी. विकेट के आसपास से Ooh और Aaah की आवाज आ रही थी. सिराज के रन अप और जोश को देखकर लग ही नहीं रहा था कि वो सीरीज का पांचवां मैच खेल रहे हैं.

पैस अटैक को लीड कर छा जाते हैं सिराज

सिराज का प्रदर्शन और भी निखर जाता है जब वो टीम इंडिया के पेस अटैक को लीड करते हैं. जसप्रीत बुमराह के रहते सिराज ने 25 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्हें 64 विकेट मिले हैं. इसमें से 10 मैचों में टीम इंडिया को जीत मिली और 11 में हार, जबकि 4 मुकाबले ड्रा रहे. वहीं, बुमराह के बिना सिराज ने 16 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 49 विकेट लिए. इस दौरान टीम इंडिया ने 12 मैच जीते और सिर्फ 3 में हार मिली है. 1 मैच ड्रा रहा.

स्टार खिलाड़ियों के मुंह पर तमाचा

उनका ये जज्बा और ये प्रदर्शन उन स्टार खिलाड़ियों के मुंह पर तमाचा है जो वर्कलोड मैनेजमेंट की बात करते हैं. क्या कोई खिलाड़ी टीम से ऊपर होता है. टीम मुश्किल में हो और वर्कलोड की बात कहकर मुकाबले नहीं खेलना, किस हद तक सही है. क्या सिराज अभी इतने बड़े स्टार नहीं हैं कि वो ये तय करें उन्हें सीरीज में कितने टेस्ट खेलने हैं.

सोचिए वर्कलोड की बात कहकर सिराज भी आखिरी मैच नहीं खेलते तो क्या होता. ये वो सिराज हैं जो अपने पिता के निधन के बाद भी विदेश में टेस्ट सीरीज खेले. वह जब ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए थे तब उनके पिता का निधन हो गया था. वह उनके जनाजे तक में शामिल नहीं हो पाए थे. टीम के कप्तान विराट कोहली ने तब सिराज को सहारा दिया था. खुद सिराज भी इसका कई बार जिक्र किए हैं.

सिराज ने अपने प्रदर्शन और टीम इंडिया ने अपनी जीत से साबित कर दिया है कि कोई खिलाड़ी टीम से बड़ा नहीं है. जब तक आप खेल रहे हैं तब तक आपकी पूजा होती है. खासतौर से आप बहुत बड़े खिलाड़ी हैं और किसी वजह से टीम में नहीं हैं तो हार में आपको याद किया जाएगा, लेकिन जीत में भूला दिया जाएगा. ऐसे में जो प्लेयर खुद को बहुत बड़ा और टीम से भी बड़ा समझने लगते हैं उनके लिए टीम इंडिया की जीत ये मैसेज है.

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