Indian Raiway Rules: भारतीय रेलवे, जिसे देश की लाइफ़लाइन कहा जाता है, अब यात्रियों के लिए लगेज लिमिट नियम को सख्ती से लागू करने पर विचार कर रहा है। अब तक रेलवे ने इस नियम पर सख्ती नहीं दिखाई थी, लेकिन भीड़भाड़ और यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए इसे लागू करने की योजना बन रही है। हालांकि, सवाल यह है कि क्या एयरपोर्ट की तरह रेलवे स्टेशन पर भी कड़े नियम लागू हो पाएंगे?
रेलवे में लगेज ले जाने के नियम
रेलवे के नियमों के अनुसार, एसी फर्स्ट क्लास यात्री 70 किलो, एसी टू टियर यात्री 50 किलो, और जनरल/सेकंड क्लास यात्री 35 किलो तक सामान ले जा सकते हैं। निर्धारित सीमा से अधिक सामान ले जाने पर डेढ़ गुना जुर्माना चुकाना पड़ता है। लेकिन अब तक इस नियम का कड़ाई से पालन शायद ही कभी होता दिखा है।
यात्रियों की राय – 68% समर्थन में
लोकलसर्कल्स (LocalCircles) सर्वेक्षण में 38,000 से अधिक यात्रियों की राय ली गई। इसमें 68% लोगों ने लगेज लिमिट नियम का समर्थन किया और कहा कि इससे ट्रेन में अधिक सामान लाने वाले यात्रियों पर रोक लगेगी। उनका मानना है कि अतिरिक्त सामान लाने वालों के कारण अन्य यात्रियों को अपना छोटा सामान रखने में भी दिक्कत होती है।
62% यात्रियों ने कहा – स्टेशन पर स्क्रीनिंग संभव नहीं
जब यात्रियों से पूछा गया कि क्या एयरपोर्ट की तरह रेलवे स्टेशन पर हर यात्री का सामान तौलना और चेक करना व्यावहारिक है, तो 62% लोगों ने इसे नकार दिया। उनका तर्क है कि रेलवे स्टेशन पर रोज़ाना लाखों यात्री सफर करते हैं और त्योहारों या छुट्टियों में भीड़ कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में हर यात्री के बैग की स्क्रीनिंग करने से अफरातफरी मच सकती है।
क्या रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट जैसे बन सकते हैं?
तकनीक और स्टाफ के मामले में रेलवे स्टेशन अभी भी एयरपोर्ट से पीछे हैं। एयरपोर्ट पर चेक-इन काउंटर, सिक्योरिटी लाइन और अतिरिक्त स्टाफ मौजूद होता है, जबकि रेलवे स्टेशन पहले से ही भीड़भाड़ का सामना कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना लागू करनी है तो इसे चरणबद्ध तरीके से और पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बड़े स्टेशनों से शुरू करना होगा।
रेलवे की योजना – राजस्व बढ़ाने का तरीका या सुविधा?
यह योजना भारतीय रेलवे के लिए अतिरिक्त राजस्व का स्रोत भी बन सकती है, क्योंकि लगेज लिमिट से अधिक सामान लाने वालों से शुल्क लिया जाएगा। लेकिन सवाल यह भी है कि यह योजना यात्रियों की सुविधा के लिए है या सिर्फ कमाई बढ़ाने का तरीका? असली चुनौती इसके जमीनी स्तर पर लागू होने में है।
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सर्वेक्षण से क्या पता चला?
लोकलसर्कल्स के इस सर्वे में देश के 319 जिलों से 38,000 यात्री शामिल हुए। इनमें 68% पुरुष और 32% महिलाएँ थीं। प्रतिभागियों में 40% टियर-1 शहरों से, 29% टियर-2 शहरों से और 31% टियर-3 से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से थे।;