India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील (Trade Deal) को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि दोनों देशों के बीच समझौता लगभग तय हो गया है और अमेरिका भारत पर लगने वाले टैरिफ 50% से घटाकर 15% करने पर विचार कर रहा है। लेकिन सरकारी सूत्रों ने इन सभी दावों को सिर्फ अटकलें बताया है। सूत्रों के अनुसार, अभी तक न तारीख तय हुई है और न ही किसी टैरिफ पर अंतिम फैसला हुआ है। बातचीत जारी है और दोनों देशों के बीच मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हो रही है।
बातचीत चल रही है, लेकिन समझौता अभी बाकी
सरकारी सूत्रों ने साफ किया है कि भारत के वाणिज्य सचिव हाल ही में अमेरिका के दौरे पर थे, जहां दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर विस्तृत चर्चा हुई। इससे पहले अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर की भारत यात्रा के दौरान भी कई अहम मुद्दों पर बात हुई थी। इन बैठकों में दोनों पक्षों ने आर्थिक सहयोग बढ़ाने और व्यापार संतुलन को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक अभी तक किसी भी मुद्दे पर अंतिम सहमति नहीं बनी है।
रूस से तेल खरीद पर अटकलें भी गलत
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि भारत अपने रूस से कच्चे तेल की खरीद को कम कर सकता है ताकि अमेरिका के साथ संबंधों को और मजबूत किया जा सके। लेकिन सरकारी सूत्रों ने इसे भी पूरी तरह अफवाह बताया है। उनका कहना है कि इस विषय पर न तो कोई औपचारिक निर्णय हुआ है और न ही अनौपचारिक रूप से कोई सहमति बनी है।
क्यों अहम है यह ट्रेड डील?
भारत और अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध काफी मजबूत हुए हैं। भारत अमेरिका को इंजीनियरिंग गुड्स, फार्मा, जेम्स-ज्वेलरी और टेक्सटाइल्स जैसे सेक्टर में निर्यात करता है, जबकि अमेरिका से डिफेंस इक्विपमेंट, टेक्नोलॉजी और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स भारत में आते हैं। अगर इस ट्रेड डील में टैरिफ को लेकर सहमति बनती है, तो इससे भारतीय उद्योगों के लिए अमेरिकी बाजार तक पहुंच आसान होगी और अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा सकेंगी।
बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर चर्चा कई बार शुरू होकर रुक चुकी है। इसके पीछे मुख्य कारण रहे हैं टैरिफ स्ट्रक्चर, कृषि उत्पादों पर प्रतिबंध और डेटा लोकलाइजेशन से जुड़ी चिंताएं। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को कुछ सेक्टरों में और खोले, जबकि भारत अपनी घरेलू इंडस्ट्री की सुरक्षा को लेकर सतर्क है। हालांकि, इस बार सूत्रों का कहना है कि बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और आने वाले महीनों में इस पर ठोस परिणाम देखने को मिल सकते हैं।





