India-Russia Agreements: भारत और रूस ने एक बार फिर रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा दी है। हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में कई बड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद दोनों देशों के बीच कुल 7 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो आने वाले समय में भारत–रूस संबंधों को और मज़बूत बनाएंगे।
रूस के लिए फ्री ई-टूरिस्ट वीजा का ऐलान
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में PM मोदी ने रूस के लिए एक बड़ा फैसला करते हुए घोषणा की कि रूस के नागरिकों को 30 दिनों का फ्री e-Tourist Visa दिया जाएगा। यह भारत की तरफ से दोस्ती की एक बड़ी सौगात मानी जा रही है। पुतिन और मोदी की बातचीत के दौरान रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर भी गहन चर्चा हुई।
भारत–रूस के बीच हुए ये 7 बड़े समझौते
द्विपक्षीय वार्ता के बाद जिन सात समझौतों की अदला-बदली हुई, उनमें शामिल हैं:
(1) कोऑपरेशन एंड माइग्रेशन एग्रीमेंट
भारत और रूस के बीच श्रमिकों के सुरक्षित आदान-प्रदान और माइग्रेशन सिस्टम को सुचारू बनाने पर सहमति बनी।
(2) टेम्पररी लेबर एक्टिविटीज एग्रीमेंट
दोनों देशों के नागरिकों को अस्थायी रोजगार के अवसर आसानी से मिल सकेंगे।
(3) हेल्थकेयर और मेडिकल एजुकेशन एग्रीमेंट
भारत और रूस स्वास्थ्य सेवाओं, मेडिकल ट्रेनिंग, दवाओं और रिसर्च के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे।
(4) फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एग्रीमेंट
खाद्य सुरक्षा, फूड क्वालिटी और एग्रीकल्चर सेक्टर में सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया गया।
(5) पोलर शिप एग्रीमेंट
आर्कटिक क्षेत्र में शिपबिल्डिंग और शिप मूवमेंट को लेकर दोनों देश मिलकर नई तकनीक पर काम करेंगे।
(6) केमिकल्स एंड फर्टिलाइज़र एग्रीमेंट
उर्वरकों और केमिकल उत्पादों की स्थिर सप्लाई, नई यूनिट्स और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
द्विपक्षीय साझेदारी में आएंगे नए अवसर
विशेषज्ञों का मानना है कि इन समझौतों से न सिर्फ आर्थिक और तकनीकी सहयोग बढ़ेगा, बल्कि भारत को हेल्थ, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नई मजबूती मिलेगी। रूस भी भारतीय श्रमिकों और मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए नए अवसर खोलेगा।
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दोनों देशों के रिश्ते होंगे और मजबूत
भारत और रूस दशकों पुराने रणनीतिक साझेदार हैं। ऐसे में इन सात समझौतों का सीधा फायदा आम जनता, छात्रों, किसानों और उद्योगों को मिलेगा। साथ ही, दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, रक्षात्मक क्षमता और मानवीय संबंध और भी मजबूत होंगे।





