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इन फिल्मों में नायक नहीं खलनायक को किया जाता है याद आज भी फिल्मो के हीरो की बराबरी करना भी आसान नहीं

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अधिकतर लोग बॉलीवुड में हीरो या हीरोइन की भूमिका ही निभाना चाहते हैं। एक कलाकार बनने का सपना संजोने वाले लोगों के मन में भी यही इच्छा होती है कि वे किसी फिल्म में लीड रोल में नजर आएं। यकीनन फिल्म में हीरो की भूमिका काफी मायने रखती है। लेकिन वास्तव में एक अच्छा कलाकार अपने किरदार को इस तरह से निभाता है कि चाहकर भी लोग उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। 

इन फिल्मों में नायक नहीं खलनायक को किया जाता है याद आज भी फिल्मो के हीरो की बराबरी करना भी आसान नहीं

जी हां, ऐसी कई फिल्में हैं, जिसमें हीरो की मौजूदगी के बाद भी विलेन ने अपना किरदार इतना बखूबी तरीके से निभाया कि आज भी लोग उस कलाकार को उसके किरदार के लिए ही याद रखते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसी ही फिल्मों व विलेन के बारे में बता रहे हैं,

शोले-गब्बर सिंह

जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से हर किसी को प्रभावित कर दिया-साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म शोले को सिर्फ जय-वीरू की दोस्ती के लिए ही नहीं जाना जाता है। बल्कि इस फिल्म में नेगेटिव रोल गब्बर सिंह का किरदार निभाने वाले अमजद खान ने भी अपनी अलग पहचान बनाई। उनका क्लासिक डायलॉग, कितने आदमी थे? को लोग आज भी याद रखते हैं। अपनी चमड़े की बेल्ट के साथ उनकी बॉडी लैंग्वेज ने भी दर्शकों को बेहद प्रभावित किया। इस फिल्म में गब्बर सिंह का किरदार भी उतना ही प्रभावशाली रहा, जितना कि जय और वीरू का।

अंदाज अपना अपना-गोगो

1994 में रिलीज हुई फिल्म अंदाज अपना अपना एक लाइट मूवी थी और इसलिए इस फिल्म का विलेन भी क्रूरता के साथ-साथ हास्य को खुद में समेटे हुए नजर आता है। शक्ति कपूर ने विलेन के रोल के साथ पूरी तरह इंसाफ किया। “क्राइम मास्टर गोगो नाम है मेरा, आंखें निकाल के गोटियां खेलता हूं मैं।” फिल्म का ये डॉयलॉग कोई नहीं भूल सकता। उनका एक डॉयलॉग भी इतना पॉपुलर हुआ कि फिल्म का अन्य कोई भी डॉयलॉग लोगों को याद नहीं है।

अग्निपथ-कांचा चीना

संजय दत्त अक्सर फिल्मों में हीरो के रोल में नजर आते हैं। मुन्ना भाई के नाम से पहचाने जाने वाले संजय दत्त नेगेटिव किरदार को भी उतना ही बखूबी निभाते हैं। यहां तक कि नेगेटिव रोल में तो वे हीरो पर ही भारी पड़ गए। संजय दत्त ने साल 2012 में रिलीज हुई फिल्म अग्निपथ में काम किया।

इन फिल्मों में नायक नहीं खलनायक को किया जाता है याद आज भी फिल्मो के हीरो की बराबरी करना भी आसान नहीं

इस फिल्म में उनका नेगेटिव रोल था। लेकिन अपने लुक्स से लेकर डॉयलॉग डिलीवरी तक हर पहलू पर उन्होंने दर्शकों को प्रभावित किया। यहां तक कि क्रिटिक्स ने भी इसे संजय दत्त द्वारा निभाए गए सबसे डार्क रोल में से एक कहा। इतना ही नहीं, अपनी बेहतरीन एक्टिंग के कारण इस फिल्म के लिए संजय दत्त को अवॉर्ड भी मिला।

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