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श्योपुर में बच्चों को गुरुजी का नहीं टपका का है डर, रोज इसी खौफ में होती है पढ़ाई

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श्योपुर: मध्य प्रदेश में जर्जर स्कूलों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. कहीं छत टपक रही है, कहीं प्लास्टर गिर रहा है तो कहीं जर्जर भवन में कक्षाएं संचालित हो रही हैं. ऐसी स्थिति पूरे प्रदेश के हजारों स्कूलों की है. स्कूल की हालत के बारे में पूछने पर प्रधानाध्यापक कहते हैं कि स्कूल की जर्जर स्थिति की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे ही हालात श्योपुर के दर्जनों सरकारी स्कूलों के हैं.

60 साल से भी ज्यादा पुराने हैं स्कूल

श्योपुर में दर्जन भर से ज्यादा स्कूल हैं जो बेहद जर्जर हालत में पहुंच गए हैं. इसमें से कई तो 50-60 साल या उससे भी पुराने हैं. न तो उनकी मरम्मत हो रही है और न ही उनको गिराकर उसकी जगह पर नए भवन बनाए जा रहे हैं. हर साल बारिश के सीजन में छत टपकती है. हालत ये है कि प्लास्टर गिर रहा है, दीवारों में दरारे पड़ चुकी हैं. कंडीशन ऐसी है कि वो कभी भी धराशाई हो सकते हैं.

श्योपुर जिला मुख्यालय में स्थित उत्कृष्ट विद्यालय, कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, प्राथमिक और मिडिल स्कूल चंबल कॉलोनी, प्राथमिक स्कूल कलमी का सहराना, आमली का सहराना प्राथमिक स्कूल और विजयपुर का प्राथमिक विद्यालय सिद्धपुरा सहित दर्जनों विद्यालय हैं जो जर्जर हो गए हैं. जिला मुख्यालय के एक्सीलेंस और कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छतों से पानी टपक रहा है.

कभी भी धराशाई हो सकते हैं भवन

हैरानी की बात ये है कि इन जर्जर और टपकते छतों वाले स्कूलों में कक्षाएं लगाई जा रही हैं. बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आते हैं. कई स्कूल तो इतने जर्जर हो गए हैं कि वो कभी भी धराशाई हो सकते हैं. इसके बाद भी किसी को ये सुध नहीं है कि इसकी मरम्मत कराई जाए या इसके स्थान पर नए भवन बनाए जाएं. ये हालात जिला मुख्यालय के स्कूलों के हैं, तो फिर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की क्या हालत होगी.

'बारिश के बाद होगी रिपेयरिंग'

कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य भारत सिंह जाट से स्कूल की जर्जर कंडीशन के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि "यह स्कूल 60 साल से ज्यादा पुराना है. इस दौरान कई बार इसकी मरम्मत कराई जा चुकी है, लेकिन फिर भी बारिश के सीजन में इसकी छत टपकने लगती है. पानी के ज्यादा रिसाव होने के कारण दीवारों में सीलन आ जाती है, जो लंबे समय तक रहती है. बारिश के बाद फिर से भवन की रिपेयरिंग कराई जाएगी."

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