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केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में जीरकपुर बाईपास के लिए 1878 करोड़ के प्रोजेक्ट को दी मंजूरी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में कई प्रस्ताव पास किए गए। बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट और आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने वाले तीन अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इनमें रेलवे लाइन दोहरीकरण, हाईवे बाईपास निर्माण और सिंचाई नेटवर्क के आधुनिकीकरण की योजनाएं शामिल हैं।

तिरुपति-पकाला-कटपाड़ी रेल लाइन सेक्शन का दोहरीकरण
केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच 104 किलोमीटर लंबे तिरुपति-पकाला-कटपाड़ी सिंगल रेलवे लाइन सेक्शन के दोहरीकरण को मंजूरी दी है। इस परियोजना की कुल लागत 1332 करोड़ रुपये होगी। यह परियोजना यात्रियों की सुविधा, लॉजिस्टिक लागत में कमी, तेल आयात में कटौती और CO2 उत्सर्जन में कमी लाकर रेल संचालन को अधिक टिकाऊ और कुशल बनाएगी। लगभग 400 गांवों और 14 लाख की आबादी को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। तिरुपति में स्थित प्रसिद्ध श्री तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर, जहां रोज़ाना 75000 तीर्थयात्री पहुंचते हैं (त्योहारों पर यह संख्या 1.5 लाख तक पहुंचती है) का आवागमन आसान होगा। निर्माण के दौरान लगभग 35 लाख मानव-दिनों का प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा।

जीरकपुर बाईपास (पंजाब-हरियाणा) के निर्माण को मंजूरी
कैबिनेट समिति ने जीरकपुर बाईपास (6 लेन, 19.2 किमी) के निर्माण को मंजूरी दी है, जिसकी लागत 1878.31 करोड़ रुपये है। यह परियोजना पंजाब और हरियाणा में राष्ट्रीय राजमार्गों के जंक्शन को जोड़ेगी और PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत विकसित की जाएगी। बाईपास NH-7 (जीरकपुर-पटियाला) से शुरू होकर NH-5 (जीरकपुर-परवाणू) तक जाएगा। जीरकपुर और पंचकूला जैसे अति-शहरी और जामग्रस्त क्षेत्रों से ट्रैफिक को डायवर्ट करेगा। पटियाला, दिल्ली, मोहाली एयरोसिटी और हिमाचल प्रदेश को सीधा जोड़ने में मदद करेगा। इस योजना के तहत चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली अर्बन एग्लोमरेशन को एक रिंग रोड नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।

M-CADWM योजना को मंजूरी
कैबिनेट ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (M-CADWM) योजना को वर्ष 2025-26 तक लागू करने की मंजूरी दी है। इसकी प्रारंभिक लागत 1600 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। यह योजना खेतों तक पाइपलाइन के जरिए सिंचाई जल पहुंचाने के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत करेगी। उपयुक्त टेक्नोलॉजी के माध्यम से जल प्रबंधन किया जाएगा। इससे जल उपयोग क्षमता बढ़ेगी, कृषि उत्पादन और किसानों की आय में इज़ाफा होगा।

परियोजनाओं को स्थायी बनाने के लिए WUS को सिंचाई संपत्तियों का प्रबंधन सौंपा जाएगा और 5 वर्षों तक सहायता दी जाएगी। योजना के अंतर्गत विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट्स लागू किए जाएंगे, जिनसे मिले अनुभवों के आधार पर 2026 से राष्ट्रीय योजना की शुरुआत की जाएगी। इन तीनों परियोजनाओं से न केवल देश की आधारभूत संरचना को मजबूती मिलेगी, बल्कि रोजगार, पर्यावरण संरक्षण और कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार की भी उम्मीद है।

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