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खबरवाणी की खबर का असर:- सतपुड़ा मेलघाट कॉरिडोर के अर्जुन गोंदी जंगल में अवैध उत्खनन मामले में ठेकेदार पर गिरी गाज

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सांध्य दैनिक खबरवाणी, घोड़ाडोंगरी

सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर से सटे संवेदनशील सतपुड़ा मेलघाट कॉरिडोर के अर्जुन गोंदी जंगल में प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत चल रहे निर्माण कार्य ने वन्यजीवन और जैव विविधता को खतरे में डाल दिया है।

1. निर्माण की आड़ में ठेकेदार द्वारा जेसीबी मशीनों से गहराई में अवैध उत्खनन किया जा रहा था, जिससे बहुमूल्य वन संपदा और वृक्षों को गंभीर नुकसान हुआ है। मामले का खुलासा मीडिया रिपोट्र्स के माध्यम से होने के बाद पूरे प्रशासन में हडक़ंप मच गया। उत्तर वन मंडल के डीएफओ नवीन गर्ग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित जांच कराई। जांच में पाया गया कि पुलियों के पास 2 से 3 मीटर गहरी खुदाई की गई है, जो स्पष्ट रूप से वन नियमों का उल्लंघन है। अब इस मामले को लेकर डीएफओ द्वारा कार्रवाई करते हुए नोअिस जारी किया गया है।

 

जारी किया गया नोटिस:-

इस मामले को लेकर डीएफओ नवीन गर्ग ने स्पष्ट किया है कि संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी किया है, जवाब प्राप्त होते ही कार्रवाई की जाएगी पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। वन विभाग अब इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या अन्य हिस्सों में भी इसी तरह से अवैध उत्खनन हुआ है।

 

टाइगर कॉरिडोर को नुक़सान:-

पर्यावरणविद आदिल खान ने इसे लेकर नाराजगी जताई है,विकास लोगों की सहूलियत के लिए आवश्यक है इसलिए राज्य व केन्द्र सरकार ने टाइगर कॉरिडोर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में विकास हेतु आवश्यक नियम बनाये है परन्तु अगर उन नियमों का उल्लंघन करते हुए कार्य किया जाएगा तो वन्यजीवों के विचरण में बाधा उत्पन्न होगी। वन विभाग को बिना समय गवाए मामला दर्ज करना चाहिए। अब देखना होगा कि वन विभाग इस मामले में कितनी सख्ती दिखाता है।

 

खबरवाणी ने सबसे पहले उठाया था मामला:-

अर्जुनगोंदी मेलघाट कॉरिडोर में निर्माण के दौरान हुई खुदाई के मामले में सांध्य दैनिक खबरवाणी ने लगातार नजर रखी और इस मामले को उठाया। पहले वन विभाग का अमला ही खनन की परमिशन को लेकर असमंजस की स्थिति में था। इसके बाद स्थित साफ हुई तो अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि खनन पूरी तरह से नियम विरुद्ध किया गया, जिसके कारण कॉरिडोर के अंदर जंगल में पेड़ों, वन्यजीवों एवं वनसंपदा को भी नुकसान हुआ है।

 

उठ रहे हैं सवाल… 

> पीएम सडक़ निर्माण के पहले वन अधिकारियों ने क्यों नहीं देखा कि खुदाई की जा सकती है या नहीं।

> ठेकेदार ने विभाग के अधिकारियों से परमिशन के बारे में क्यों जानकारी नहीं ली।

> अधिकारियों को कॉरिडोर के नियमों की जानकारी है या नहीं?

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