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पत्ता तोड़ते ही हो जाएगी अनहोनी, 1000 साल पुराने इस बरगद को लोगों से चिढ़, छूने से घबराते हैं बड़े-बड़े शूरमा

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सुल्तानपुर. हमारा देश कई विविधताओं को समेटे हुए है. यहां कई ऐसी परंपराएं और मान्यताएं रही हैं, जो लोगों को अचंभित कर देती हैं. एक ऐसी ही मान्यता उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में मौजूद बरगद के पेड़ के बारे में है. कहा जाता है कि ये पेड़ 1000 साल पुराना है. इस बरगद की कहानी हैरान करने वाली है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, जो भी इस पेड़ की टहनी या पत्ते तोड़ता है, उसके साथ कोई न कोई अनहोनी होकर रहती है. इसका असल कारण क्या है, आइये जानते हैं.
दिखने में मकड़ी जैसा 
स्थानीय निवासी अशोक सिंह लोकल कहते हैं कि सुलतानपुर के देवरहर गांव स्थित बरगद का यह पेड़ मकड़ी के आकार जैसा है. इसकी शाखाएं पेड़ को चारों तरफ से बांध कर रखी हैं. ऐसा लगता है जैसे कई सांप आपस में अठखेलियां कर रहे हैं. इस पेड़ की आकृति कुछ ऐसी है कि यहां पर यदि आप रात में चले जाएं तो आपको डर पक्का लगेगा. बड़ी-बड़ी टहनियां, पेड़ की कई शाखाएं और पेड़ से निकलते लटकन, ऐसे लगते हैं जैसे सांप लोट रहे हों. अशोक बताते हैं कि यह पेड़ काफी पुराना है. यहां जब भुरुचों का कबीला हुआ करता था, ये पेड़ तब का माना जाता है. कुछ लोग इसे 1000 साल पुराना मानते हैं.
मुख्य पुजारी आचार्य प्रशांत उपाध्याय के अनुसार, बरगद का ये पेड़ बाबा महेश नाथ धाम प्रांगण में मौजूद है. यह स्थान महाभारत काल में भुरुचों का कबीला हुआ करता था. पुजारी बताते हैं कि मंदिर बनने से पहले जो भी व्यक्ति इस स्थल के आसपास आता और कोई भी सामान या पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाता, उसके साथ 24 घंटे के भीतर कोई अनहोनी जरूर हो जाती थी. इस बरगद की एक ही जड़ में दो पेड़ आपस में जुड़कर निकली हैं. लगता है जैसे जुड़वा भाई हों.

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