नई दिल्ली: विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि देश में लोकतंत्र की स्थिति कमजोर हो गई है और संविधान को चुनौती दी जा रही है। उन्होंने कहा कि वह संविधान की रक्षा और उसे मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि भारत भले ही सांविधानिक लोकतंत्र बना हुआ है, लेकिन वह दबाव में है। रेड्डी ने संविधान पर हो रही बहस का स्वागत किया और कहा कि यह जरूरी है कि लोग समझें कि संविधान पर खतरा है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि यह चुनाव उनका और एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच है।
उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदवारी किसी ‘लड़ाई’ के तौर पर नहीं, बल्कि एक ‘सैद्धांतिक प्रतिस्पर्धा’ है। उन्होंने साफ किया कि वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं और न ही कभी रहेंगे। रेड्डी ने कहा कि उनकी विचारधारा पूरी तरह से संविधान पर आधारित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सभी दलों के सांसदों से समर्थन मांगेंगे क्योंकि वे किसी एक दल के नहीं हैं।
शाह के आरोपों का जवाब
गृह मंत्री अमित शाह ने रेड्डी की उम्मीदवारी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि कांग्रेस ने ‘नक्सलवादी सोच’ वाले व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है, क्योंकि रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हिस्सा थे, जिसमें सलवा जुडूम को असंवैधानिक ठहराया गया था। इस पर रेड्डी ने कहा कि सलवा जुडूम पर दिया गया फैसला सुप्रीम कोर्ट का था, केवल मैंने लिखा था। यह मेरा व्यक्तिगत जजमेंट नहीं था, अगर गृह मंत्री उस फैसले को पढ़ लें तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।