उल्टी-दस्त से पीडि़त महिला को उफनती भाजी नदी कराई पार, बैलगाड़ी में महिला को डालकर पहुंचाया गया चिचोली अस्पताल
बैतूल – Hairan Karti Tasveer – कहने को तो हम 21 सदी के भारत की बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि हमने विकास की इबारत लिख दी है। इतना ही नहीं देश की आजादी का अमृत महोत्सव भी ऐसा मनाया गया जैसे अब कोई समस्या ही नहीं बनी है। लेकिन कड़वी हकीकत यह है कि अभी भी जिले में ऐसे ग्रामों की भरमार है जहां पर यदि बीमार हो जाए तो या तो उसे मरने का इंतजार करना पड़ता है या फिर कई लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर बीमार की जिंदगी बचाने उफनते नदी-नाले पार करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ऐसी ही एक घटना में एक उल्टी-दस्त से जबरदस्त पीडि़त महिला की जिंदगी बचाने के लिए उसके पति, बहन ने बैलगाड़ी में उसे डालकर ऊफनती नदी पार करने का जोखिम उठाकर बीमार महिला को अंतत: अस्पताल पहुंचा दिया है। हालांकि बीमार महिला की हालत अत्यधिक गंभीर है। बेहद उल्टी-दस्त होने से उसकी किडनी पर भी विपरित असर हुआ है। बहरहाल महिला को जिला अस्पताल में उपचार किया जा रहा है जिसको दो दर्जन ग्लूकोज की बोतलें भी लग चुकी है।
बहाव तेज होता तो बह जाते सभी
जिले के चिचोली ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम बौड़ रैय्यत चिरापाटला निवासी दयाराम इवने ने बताया कि उसकी पत्नी सुखमनी इवने को शुक्रवार से उल्टी-दस्त प्रारंभ हो गए थे। गांव से मुख्य सडक़ के बीच भाजी नदी उफान पर चल रही थी जिससे वह उसे अस्पताल भी नहीं ले जा पा रहे थे। इधर सुखमनी (26) का स्वास्थ्य लगाता गिर रहा था। इसको देखते हुए उन्होंने उनके बड़े भाई बालिकराम इवने और उनकी बहन सीमा इवने के साथ दोनों बैलों की जान जोखिम में डालते हुए सुखमनी को बैलगाड़ी में लेटाकर उफनती में बैलगाड़ी उतार दी। उन्होंने बताया कि अगर बहाव थोड़ा भी तेज होता तो हम सभी बैलगाड़ी सहित बह जाते।
साहस की हुई जीत और पहुंचाया अस्पताल
दयाराम इवने ने बताया कि जैसे-तैसे दोनों बैलों के सहारे उन्होंने नदी पार कर बौड़ रैय्यत से एक किलोमीटर दूर मुख्य सडक़ पर आए और यहां से उन्होंने निजी वाहन कर सुखवंती को चिचोली अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पर सुखवंती को करीब 3 बॉटल लगाई लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं होने पर जिला अस्पताल शुक्रवार शाम को ही रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में करीब 20 बॉटल लग चुकी है लेकिन हालत में सुधार नहीं हो रहा है।
किडनी पर हो गया असर
जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. रानू वर्मा ने बताया कि महिला को अत्यधिक उल्टी-दस्त होने के कारण उसकी किडनी पर भी विपरित असर हुआ है। श्री वर्मा ने बताया कि महिला का उपचार किया जा रहा है लेकिन फिलहाल उसकी सेहत में सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने बताया कि महिला को बैलून अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसकी लगातार मानीटरिंग की जा रही है।
नदी-पुल पार नहीं करते क्या घर में मरे हम?
एक ओर जिला प्रशासन द्वारा नदी-नालों और पुल के जलमग्र होने पर इन्हें पार नहीं करने की समझाईश और अपील कर अपने कार्यों की इतिश्री कर ली जाती है। वहीं पीडि़तों का कहना है कि नदी-नालों पर पुल-पुलिया नहीं है। ऐसे में बीमार व्यक्ति की जान बचाने के लिए अगर जलमग्र नदी-नाले और पुल-पुलिया को पार नहीं करे तो घर में ही मरने के लिए इंतजार करें। बेहतर होता कि जितनी अपील इस कार्य के लिए की जा रही है यदि ऐसी ही सतर्कता, मानीटरिंग इन नदी-नालों में पुल-पुलिया बनाकर ग्रामीणों के लिए रास्ता सुगम करने दिखाई जाती तो आज यह स्थिति नहीं होती कि किसी को जलमग्र नदी में बैलगाड़ी या फिर झोली बनाकर कंधों पर पार करने को विवश होना पड़ता। ऐसे मार्मिक दृश्य यह बताने के लिए पर्याप्त है कि राजनीति दृढ़ इच्छा शक्ति का जिले में नहीं होने का खामियाजा ग्रामीणों को किस तरह से भुगतने मजबूर होना पड़ रहा है।
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