Groundnut Kheti – भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ किसान कड़ी मेहनत और लगन से अपने खेतों में फसल लगाते हैं और उसकी देख रेख करते हैं। वहीं अगर आपको पता हो तो किसान अलग अलग समय और मौसम के हिसाब से अलग अलग फसलों खेती अपने खेतों में करते हैं।
जैसे किस किस फसल को जिस मौसम की जरुरत होती है उस समय उस फसल की खेती जिससे की अच्छी पैदावार हो किसान को अच्छा मुनाफा हो। जैसे की आप सभी को मालूम है कि अभी किसानों ने अपने खेतों में लगी गेहूं की फसल की कटाई करके दूसरी फसल की तैयारी में है।
ऐसे में हम आपको बताने वाले हैं की आप गेंहू के बाद मूंगफली की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं मूंगफली की खेती की प्रक्रिया।
जाने मूंगफली की खेती की प्रक्रिया | Groundnut Kheti
मूंगफली की खेती के लिए पानी की उपलब्धता प्रमुख है। इसी कारण किसान पहले इसे केवल बारिश के मौसम में करते थे। उस समय यहां काफी खेती होती थी। मौसम के बदलाव के कारण धीरे-धीरे बारिश कम होने व अनियमितता के कारण किसानों ने धीरे-धीरे इससे नाता तोड़कर अन्य चीजों की खेती शुरू कर दी।
घुमंतू जानवरों के कारण भी किसानों की फसल नष्ट होने पर उनका मोह इससे भंग होने लगा। पर, अब सिंचाई के संसाधन बढ़ जाने के कारण किसानों का रुख एक बार फिर मूंगफली की खेती की तरफ हो रहा है। अब यहां किसान दो बार इसकी खेती कर रहे हैं। अगेती फसल को जून तक खोदकर बेच दिया जाता है तो दोबारा जुलाई के अंत में बारिश के दौरान फसल बो दी जाती है।
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जाने इस खेती के फायदे | Groundnut Kheti
किसानों के अनुसार मूंगफली खरीफ और जायद दोनों की फसल है। हालांकि, खरीफ की अपेक्षा जायद में कीट और बीमारियों का प्रकोप कम होता है। इसकी फसल हवा और बारिश से मिट्टी कटने से भी बचाती है।
एक बीघा में मूंगफली का उत्पादन लगभग सात से दस क्विंटल होता है, जिसकी बाजार कीमत साढ़े तीन हजार से सात हजार रुपये प्रति क्विंटल होती है। इसमें गीली मूंगफली (होला) साढ़े तीन हजार से चार हजार रुपये तथा मूंगफली छह हजार से सात हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिक जाती है।
इन बातों का रखें ध्यान | Groundnut Kheti
गेहूं कटने के बाद खेत खाली होने के बाद मूंगफली की बुआई करते हैं। इससे काफी फायदा हो जाता है। इसके लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है, ताकि मिट्टी में पानी रुक न पाए। इसकी खेती के लिए दोमट बलु अर, बलुअर दोमट या हल्की दोमट भूमि अच्छी रहती है। यह आलू, मटर, सरसों और गेहूं की कटाई के बाद खाली भूमि में की जा सकती है। इसका फायदा ये होता है कि गेहूं आदि की कटाई के बाद खेत खाली नहीं रहते।
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