Greater Noida News: कभी ग्रेटर नोएडा और उत्तर प्रदेश में नाम और काम दोनों से मशहूर रहा जयपी ग्रुप (Jaypee Group) आज कानूनी शिकंजे में फंसा हुआ है। यही ग्रुप जिसने प्रदेश को 2012 में उसका पहला एक्सप्रेसवे — यमुना एक्सप्रेसवे — दिया था, अब दिवालिया (Bankrupt) घोषित हो चुका है। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि जयपी ग्रुप के एमडी मनोज गौड़ (Manoj Gaur) को जेल की हवा खानी पड़ी? आइए जानते हैं पूरी कहानी।
कभी दौड़ती कारों से गूंजता था “बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट”
मायावती सरकार के दौरान जयपी ग्रुप को बेहद सस्ती दरों पर जमीन मिली थी। इसके बाद ग्रुप ने स्पोर्ट्स सिटी, टाउनशिप प्रोजेक्ट और बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (Formula One Track) जैसे बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए। 2011 से 2013 तक यहां फॉर्मूला वन रेस आयोजित हुई, लेकिन उसके बाद से ट्रैक वीरान पड़ा है। हजारों खरीदारों ने जो सपनों का घर सोचा था, वह अधूरा रह गया।
ईडी ने 15 ठिकानों पर मारे छापे
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मई 2025 में जयपी इंफ्राटेक और इसकी सहयोगी कंपनियों के करीब 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़, डिजिटल डिवाइस और बैंक रिकॉर्ड जब्त किए गए। जांच में सामने आया कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) से जुड़ा है। इसके बाद ईडी ने ठोस सबूतों के आधार पर मनोज गौड़ को गिरफ्तार कर लिया।
खरीदारों के पैसे से हुआ कथित घोटाला
ईडी की जांच में सामने आया कि जयपी इंफ्राटेक ने होम बायर्स से जमा किए गए पैसे को प्रोजेक्ट में लगाने के बजाय दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर किया। इस आर्थिक गड़बड़ी से हजारों लोगों के सपनों का घर अधूरा रह गया। कई खरीदार आज भी अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल ईडी ने जयपी ग्रुप पर लगभग ₹1200 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है।
2017 में दर्ज हुई थी पहली FIR
जयपी ग्रुप की मुश्किलें नई नहीं हैं। साल 2017 में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी, जब प्रोजेक्ट तय समय पर पूरे नहीं हुए। नाराज खरीदारों ने शिकायत की थी कि बिल्डर ने उनकी रकम का गलत इस्तेमाल किया और काम रोक दिया। अब ईडी की ताजा कार्रवाई ने पुराने जख्म फिर से हरे कर दिए हैं।
Read Also:Bigg Boss 19 में भड़के शहबाज बदेशा, बोले – “सीधे उसे ही विनर बना दो…” आखिर क्या हुआ शो में?
कभी समृद्धि का प्रतीक, अब दिवालिया कंपनी
जो जयपी ग्रुप कभी यमुना एक्सप्रेसवे जैसे प्रोजेक्ट देकर यूपी की पहचान बना रहा था, आज वही कानूनी और आर्थिक जाल में फंस गया है। मनोज गौड़ की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि बड़ी कंपनियों के भी बुरे दिन आ सकते हैं। कभी जो ग्रुप “संपन्नता और विकास” का प्रतीक था, अब “दिवालियापन और जांच” का चेहरा बन गया है।





