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जीएमएससी की जानलेवा लापरवाही: छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन के लिए भेजे जंग लगे सर्जिकल ब्लेड

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छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस लिमिटेड (सीजीएमएससी) की एक और जानलेवा लापरवाही सामने आई है। उन्होंने आंबेडकर अस्पताल, डीकेएस, जिला समेत दूसरे अस्पतालों में मरीजों के लिए जंग लगे सर्जिकल ब्लेड भेज दिए। शिकायत के बाद इसके उपयोग पर बैन लगा दिया गया है। अस्पतालों से स्टॉक भी वापस मंगाया गया है। ड्रग वेयर हाउस के स्टोर ऑफिसर के ऑर्डर में ब्लेड में जंग लगने की शिकायत व मरीजों को संक्रमण का उल्लेख किया गया है। डॉक्टरों के अनुसार जंग लगे ब्लेड से ऑपरेशन करने पर मरीजों की जान जा सकती है।

ड्रग वेयर हाउस रायपुर के स्टोर ऑफिसर के पत्र के अनुसार सर्जिकल ब्लेड साइज नंबर 22 (ड्रग कोड-सी 114) के बैच नंबर जी409 की विभिन्न अस्पतालों से जंग लगने की शिकायत मिली थी। यह 1 जून 2024 में बना है और 31 मई 2029 में एक्सपायर होगा। ब्लेड माहिम मुंबई स्थित गोल्डविन मेडिकेयर लिमिटेड में बना है। स्टॉक वापस व उपयोग बंद करने वाले आर्डर में लिखा गया है कि यह ब्लेड ऑपरेशन थियेटर में उपयोग में नहीं लाया जा सकता क्योंकि इससे मरीजों में सेप्टिक होने का खतरा है।

इसमें जंग लगने व मरीजों में संक्रमण का जिक्र

सीजीएमएससी से सप्लाई ब्लेड नंबर 11 व 15 का उपयोग डॉक्टर नहीं करते, क्योंकि इससे खून की नसें ठीक से नहीं कटतीं। इसके लिए डॉक्टर इंप्रेस मनी से ब्लेड खरीदकर उपयोग कर रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार वैस्कुलर सर्जरी के लिए फाइन ब्लेड की जरूरत पड़ती है। यह काफी फाइन सर्जरी होती है इसलिए गुणवत्ताविहीन सर्जिकल ब्लेड से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

जंग मतलब, पैकिंग में बैक्टीरिया का प्रवेश

सर्जिकल ब्लेड में जंग लगने का मतलब ये है कि पैकिंग में हवा प्रवेश कर चुकी है। हवा के साथ ही बैक्टीरिया का भी प्रवेश हो चुका है। यानी निर्माण के बाद जिस ब्लेड को स्टरलाइज किया गया था, वह खत्म हो गया है। ओटी में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता और न ही किसी मरीज की सर्जरी की जा सकती है। 22 नंबर का ब्लेड जनरल सर्जरी, कैंसर सर्जरी, ऑर्थोपीडिक्स, ऑब्स एंड गायनी समेत दूसरे विभाग करते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंग लगे ब्लेड का उपयोग करने से किस तरह मरीजों की जान पर खतरा हो सकता है।

मिर्गी व ब्रेन के झटके को रोकने वाला फेनोटोइन इंजेक्शन भी निकला है घटिया। सिस्टोकेम लेबोरेटरी दिल्ली को नोटिस देकर स्टॉक वापस व उपयोग बैन किया गया है।

खून पतला करने वाला हिपेरिन इंजेक्शन की क्वालिटी घटिया। डिवाइन लेबोरेटरी वड़ोदरा को ब्लैकलिस्टेड किया गया है। साथ ही हाईकोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना लगाया है।

खून सामान्य या गाढ़ा करने वाला प्रोटामिन इंजेक्शन की शिकायत। वाइटल कंपनी नासिक को नोटिस। इंजेक्शन का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है लैब।

ग्लूकोज स्लाइन चढ़ाने वाली इंट्रावीनस ड्रिप सेट घटिया निकला है। स्टॉक वापस मंगाकर कार्टेल हैल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड रायपुर को नोटिस जारी किया गया है।

प्रेग्नेंसी डायग्नोस्टिक किट निम्न स्तर का निकलने के बाद स्टॉक वापस मंगाकर उपयोग बैन किया गया। रिकोंबिजन लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली को नोटिस दिया है।

प्रेमाडॉल 50 मिग्रा, लिनिन जोनाड्रिल सीरप व नार्मल व डेक्सट्रोज स्लाइन के उपयोग से साइड इफेक्ट। आंबेडकर अस्पताल की नर्स बेहोश हो गई थी।

मंत्री कर रहे औचक निरीक्षण, अफसर बेपरवाह

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बुधवार को रायपुर के आंबेडकर अस्पताल और डीकेएस का औचक निरीक्षण किया। वे पहले भी ऐसा कर चुके हैं और स्वास्थ्य सुविधाओं को ठीक करने चेता भी चुके हैं। लेकिन अफसर बेलगाम हो गए हैं। जिनके पास क्वालिटी कंट्रोल की जिम्मेदारी है, वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे हैं। वेयरहाउस में अगर कूलिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा है तो जिम्मेदार कौन है? आखिर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? यही नहीं सीजीएमएससी से सप्लाई में आखिर इतनी दवाइयां, इंजेक्शन, किट व ब्लेड क्यों घटिया निकल रहे हैं।

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