40 से 45 क्विंटल गेहूं की होगी पैदावार
Genhu Ki Kheti – गेंहू की फसल एक बेहतर उत्पादन वाली फसल है, भारत देश के किसान व्यापक रूप से गेंहू की खेती करते हैं ऐसे में किसानों को गेहूं की बुआई से लेकर कटाई तक सभी प्रक्रियाओं में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
बुवाई के समय बरते सावधानी | Genhu Ki Kheti
गेहूं की बुआई के समय, किसानों को उन्नत किस्म के बीज का चयन करना उचित है। साथ ही, बुआई के समय गेहूं के बीजों को छींटने की बजाय, उन्हें एक सरल लाइन में बोना जाना चाहिए। बुआई के समय, गेहूं के बीजों के बीच सही अंतर बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे बेहतर उत्पादन हो सके। यदि संभव हो, तो बुआई के दौरान सीड ड्रिल का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इससे गेहूं की बुआई के समय बीजों के बीच एक समान दूरी बनी रहती है।
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उर्वरक प्रबंधन बहुत जरुरी
गेहूं की बुआई कर चुके किसानों के लिए उर्वरक प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। बुआई के समय, डीएपी और पोटाश को खेत में मिलाना आवश्यक है। जब पौधा 25 से 30 दिन का हो जाता है, तब उरिया खाद को गेहूं की फसल में मिलाना चाहिए सिंचाई के बाद। दूसरी बार, जब गेहूं की फसल में कली निकलना शुरू होता है, तब उरिया का छिड़काव करना उपयुक्त है। तीसरी बार, जब फूल निकलने की अवस्था आती है, तो भी यूरिया का छिड़काव करना चाहिए। इससे गेहूं की फसल का उचित विकास होता है और किसानों को बेहतर उत्पादन मिलता है।
सिंचाई का रखे विशेष ध्यान | Genhu Ki Kheti
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है गेहूं की फसल में बेहतर उत्पादन के लिए, किसानों को सिंचाई पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। गेहूं की फसल की तैयारी के दौरान, किसानों को चार-पांच बार सिंचाई करनी चाहिए। यह बताया जा रहा है कि गेहूं की फसल लगाने के 30 से 35 दिन के बाद, किसानों को खेत में घास मारने की दवा का छिड़काव करना चाहिए। खेत में घास उगने से फसल का विकास रुक जाता है, क्योंकि गेहूं की फसल को जो पोषक तत्वों की जरूरत होती है, वह सभी घास खींच लेती है। इस निर्देश के पालन से यह बताया जा रहा है कि किसानों को एक एकड़ में 40 से 45 क्विंटल गेहूं का उत्पादन हो सकता है।
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