Gehu Ki Kheti – कड़ाके की ठंड में गेंहू की फसल पर मंडराता है येलो रस्ट का खतरा 

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बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान 

Gehu Ki Khetiदेश के किसान साल भर मेहनत और लगन से फसल उगाते हैं, लेकिन अंत में उनकी फसल की भाग्यवानी मौसम के उतार-चढ़ाव या फिर किसी रोग के प्रकोप से निर्भर होती है। यही कारण है कि किसानों को अपनी फसल के लिए चिंता होती रहती है। उन्हें डर लगता है कि कहीं उनकी प्रतिकूल परिस्थितियों या अन्य जोखिमों से उनकी फसल नुकसान न उठा ले।

पंजाब और हरियाणा में गेहूं की व्यापक खेती की जाती है। जहाँ एक ओर, तापमान के गिरने से फसलों को बड़ा नुकसान हो रहा है, वहीं इन दिनों फसलों पर पीली कुंगी (Yellow Rust) का खतरा भी बढ़ रहा है। यह रोग गेहूं की फसल को बुरी तरह प्रभावित करता है और उपज में भारी गिरावट पैदा करता है। पीली कुंगी रोग के बारे में और इससे फसलों को बचाने के उपायों के बारे में इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे।

येलो रस्ट का खतरा | Gehu Ki Kheti 

पीली कुंगी या येलो रस्त, जिसे पीला रतुआ भी कहा जाता है, एक रोग है जो गेहूं की उपज को कम कर सकता है। इसे गेहूं के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है। इस रोग में गेहूं के पत्तियों पर पीले रंग का पाउडर जम जाता है, जिससे पीला पदार्थ निकलता है जब इसे छूते हैं। इस बीमारी को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो यह पूरी फसल में फैल सकता है और अनाज को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की फसल में आरंभ में गोल आकार के पैकेज दिखाई देते हैं, जो इसका पहला संकेत होता है। इसके बाद यह रोग फैलने लगता है। इस दौरान, फसलों की पत्तियों पर धारियां दिखाई देती हैं और पत्तियों पर नारंगी और पीले रंग के धाने उभरने लगते हैं। अगर फसल एक बार इस बीमारी के प्रभाव में आ जाती है, तो यह फसल का रंग भूरा हो जाता है, और फिर फसल की जपीलड़ सूख जाती है और काली हो जाती है।

ऐसे करें बचाव | Gehu Ki Kheti 

किसानों के लिए महत्वपूर्ण है कि फसल पीली कुंगी के प्रभाव से कैसे बचाई जा सकती है। इससे बचाव के लिए, किसानों को नियमित रूप से फसल की जांच और निगरानी करनी चाहिए, खासकर सिंचाई या बारिश के बाद। दिसंबर के दूसरे हफ्ते में फसल का नियमित सर्वेक्षण और निगरानी करना अत्यंत आवश्यक है।

दिसंबर-जनवरी के दौरान पहाड़ी इलाकों में इस रोग की रोकथाम के लिए, फसल पर विशेष ध्यान देना चाहिए। नियमित रूप से आवश्यकतानुसार कवकनाशी का छिड़काव करना चाहिए और जल्दी उगे गेहूं की पौधों को नष्ट कर देना चाहिए। किसानों को खेत में पानी जमने से बचना चाहिए। संक्रमित फसल के मलबे को इकट्ठा करना और नष्ट करना, और खेत को स्वच्छ बनाए रखना भी जरूरी है।

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