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Garuda Purana:गरुड़ पुराण क्या सिखाता है जीवन और कर्म के बारे में

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Garuda Purana:गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। इसमें जीवन, मृत्यु, आत्मा और कर्मों का गहरा वर्णन मिलता है। यह ग्रंथ साफ शब्दों में बताता है कि इंसान जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसे मृत्यु के बाद भोगना पड़ता है। जो लोग धर्म के रास्ते पर चलते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, वहीं पाप कर्म करने वालों को नरक की यातनाएं सहनी पड़ती हैं।

गर्भ में हत्या करना सबसे बड़ा महापाप

गरुड़ पुराण के अनुसार गर्भ में पल रहे जीवन को नष्ट करना सबसे घोर पापों में गिना जाता है। चाहे कारण कोई भी हो, यह कर्म आत्मा पर गहरा बोझ डालता है। ऐसे कर्म करने वाले व्यक्ति को न केवल नरक में कठोर सजा मिलती है, बल्कि अगले जन्म में भी उसे भयंकर कष्ट झेलने पड़ते हैं। यह पाप जन्म जन्मांतर तक पीछा नहीं छोड़ता।

पर स्त्री से संबंध बनाना भारी अपराध

किसी दूसरे व्यक्ति की पत्नी या संबंध में दखल देना भी गरुड़ पुराण में बड़ा पाप बताया गया है। ऐसा करने से इंसान का नैतिक और आध्यात्मिक पतन हो जाता है। इस पाप के कारण व्यक्ति को नरक में भयंकर अग्नि और तपती यातनाएं सहनी पड़ती हैं। आत्मा को बार बार अपने किए का एहसास कराया जाता है।

सोना या कीमती चीजों की चोरी

सोने या कीमती धातुओं की चोरी को भी गरुड़ पुराण में महापाप कहा गया है। यह सिर्फ कानून नहीं बल्कि धर्म का भी उल्लंघन है। ऐसे लोगों को नरक में लोहे की जंजीरों में बांधकर जलाया जाता है। हाथ पैर जलते रहते हैं और पीड़ा का कोई अंत नहीं होता।

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किसी का घर उजाड़ना और विश्वासघात

किसी के घर में फूट डालना, झगड़ा कराना या किसी का भरोसा तोड़ना भी घोर पाप माना गया है। विश्वासघात करने वाला व्यक्ति रिश्तों को तोड़ता है और समाज में अशांति फैलाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे लोगों को नरक में कांटों भरे रास्तों पर चलना पड़ता है और कभी आग तो कभी खौलते पानी की यातनाएं दी जाती हैं।

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