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भगीरथ के पुरखों को तारने पृथ्वी पर आई थीं गंगा, अपने पितरों के लिए गंगा दशहरा पर करें ये उपाय, मिलेगा मोक्ष!

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हिंदू धर्म में हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गंगा मैया की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को अनजाने में की गई गलतियों के लिए पाप से मुक्ति मिलती है. शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

इसके अलावा, गंगा दशहरा पितृ पूजा के लिए भी जाना जाता है. क्योंकि, मांग गंगा का धरती पर अवतरण भगरीरथ के पूरखों की मुक्ति के लिए ही हुआ था. इसी क्रम में उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया कि अगर गंगा दशहरा पर आप गंगाजी में जाकर स्नान नहीं कर पा रहे तो निराश न हों. घर पर कुछ अचूक उपाय से गंगा स्नान के बराबर ही पुण्य प्राप्त किया जा सकता है. पितरों को भी प्रसन्न किया जा सकता है.

कब मनाया जाएगा गंगा दशहरा
वैदिक पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा की दशमी तिथि की शुरुआत 4 जून को रात 11:55 बजे होगी और यह तिथि 6 जून को रात 2:14 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, इस साल गंगा दशहरा का पर्व 5 जून, 2025 को मनाया जाएगा.

जरूर करें ये काम, पूर्वज का मिलेगा आशीर्वाद

    गंगा दहशरा के दिन जो लोग गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, फिर भी अपने पितृ को तृप्त करना चाहते हैं तो सबसे पहले इस दिन स्नान करते वक्त जल में गंगाजल मिला लेना चाहिए. उसके बाद स्नान करें. काला तिल और सफेद पुष्प लेकर पितृ का तर्पण करें. पितृ चालीसा का पाठ करें.
    यह दिन पितृ को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ है. इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करें, क्योंकि राजा भगीरथ पितृ की तृप्ति के लिए ही मां गंगा को धरती पर लाए थे. इस दिन पितृ तर्पण, पिंडदान, दान, श्राद्ध और दीपदान जरूर करना चाहिए.
    इस दिन संध्या के समय पीपल वृक्ष के नीचे पितृ के नाम से दीपदान करें. ऐसा करने से आपको घर बैठे ही पितृ दोष से मुक्ति मिल जाएगी और पितृ प्रसन्न होंगे, जिससे घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होगी और वंश पर सकारात्मक असर पड़ेगा.

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