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धर्मांतरण के नाम पर जालसाजी का खुलासा: कॉलेज स्टूडेंट्स शामिल, देश-विदेश में फैला नेटवर्क

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आगरा : अवैध धर्मांतरण गिरोह का नेटवर्क देश के कई राज्यों के साथ ही विदेश तक फैला हुआ है। गिरोह के युवक-युवतियां विभिन्न राज्यों के कॉलेजों में फैले हुए हैं। कश्मीर, दिल्ली, गोवा, जयपुर, उत्तराखंड और कोलकाता तक कनेक्शन सामने आया है। धर्मांतरण के जाल में युवक और युवतियों को ऐसे ही नहीं फंसाया जा रहा है। पहले उन्हें धर्म के नाम पर बरगलाया जाता है। फिर पैसों का प्रलोभर दिया जाता है। इसके बाद धर्मांतरण कराया जाता है लेकिन धर्मांतरण करने वालों को अंत में धोखा ही मिलता है। एक बार कोई इसमें चला जाता है, तो वापस आना बेहद मुश्किल हो जाता है।

गोवा की रहने वाली एसबी कृष्णा भी इस्लाम कबूल कर आयशा बनी थी। पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि वह पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी। तभी कश्मीरी छात्राओं ने उसे जाल में फंसाया। शबा नाम की छात्रा उसे कश्मीरी लेकर गई थी। परिजन ने दिल्ली में अपहरण का केस दर्ज करा दिया। वह कश्मीर में रह रही थी। वह पांच बार की नमाज पढ़ा करती थी। स्थानीय लोग भी नमाज पढ़ने आते थे। मगर, उसके साथ वो व्यवहार नहीं होता था जो स्थानीय लोगों से किया जाता था। इस दौरान उसे जिस घर में रखा गया था, वहां काम भी कराया जाता था। दो महीने बाद उसका मन वापस आने के लिए हुआ। तब वह दिल्ली आ गई। मगर, उसके मित्र मुस्तफा को जेल भेज दिया गया। 

वह धर्मांतरण कर चुकी थी इसलिए एक बार फिर गिरोह के संपर्क में आ गई। उसे कोलकाता बुला लिया गया। इसके बाद वह धर्मांतरण के लिए आने वाले लोगों के लिए रुपये मुहैया कराने का काम करने लगी। पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान के घर से रोहतक की युवती को बरामद किया। वह बंधक बनाकर रखी गई थी। उसका धर्मांतरण और निकाह भी कराया गया था। उसने भी पुलिस को कई अहम जानकारियां दीं। बताया कि उसे मुस्लिम धर्म के बारे में बताया गया। फिर धर्म परिवर्तन कराया गया। उसकी मदद की गई। उसे रुपयों से लेकर आवास तक दिया गया। बाद में वह धोखे का शिकार हो गई। जिस जुनैद नाम के युवक ने दोस्ती की थी। उसने पहले ही शादी कर ली थी। इसके बावजूद वो उसे अपने साथ रखना चाहता था। बाद में तलाक दे दिया। तब उसे अब्दुल रहमान ने रख लिया।

गिरोह का है चरणबद्ध तरीका

  • पुलिस की पूछताछ में पता चला कि गिरोह के सदस्य अलग-अलग राज्यों के शिक्षण संस्थान में फैले हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या में युवतियां भी शामिल हैं। वह छात्राओं को फंसाने का काम करती हैं। वह मिलकर और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें इस्लाम धर्म के बारे में बताती हैं। अपने धर्म से अलग और सहूलियत के बारे बताया जाता है। जन्नत में जाने का रास्ता दिखलाया जाता है। संसार में सबके एक सामान होने की बात कही जाती थी। इससे प्रभावित होकर ही लोग जाल में फंस जाते थे।
  • एक बार किसी के राजी होने पर धन भी उपलब्ध कराया जाता था। बताया जाता था कि उनकी मदद की जाएगी। रहने और खाने की दिक्कत नहीं होगी। काम भी मिलता रहेगा। बताया जाता था कि किसी तरह की समस्या होने पर धर्म के लोग आपकी मदद करेंगे। सदर की सगी बहनों को भी दिल्ली ले जाने के बाद रुपये दिए गए थे। कोलकाता में कमरा भी दिलाया गया था। गिरोह के सदस्य उनके धर्मांतरण और निकाह से संबंधित कागजात भी तैयार करा रहे थे।
  • धर्मांतरण होने के बाद युवतियों को बुर्के में रखा जाता था। उनसे पांच बार की नमाज अदा कराई जाती थी। इस दाैरान उन्हें धार्मिक पुस्तकें भी पढ़वाई जाती थी, जिससे वो अपनी आस्था को कम नहीं कर सकें। सदर की एक युवती को इतना प्रभावित किया गया था वह मुजाहिद बनने के लिए भी तैयार हो गई थी। वह हथियार हाथ में लेना चाहती थी। सारे दस्तावेज बनने के बाद अगर, कोई वापस भी जाना चाहता है, तो वह नहीं जा सकता। खासकर युवतियों का घर वापसी करना आसान नहीं होता है।
  • धर्मांतरण और निकाह होने के बाद युवतियों को धोखा मिलता था। उन्हें अपना तो लिया जाता था लेकिन अपनों जैसा व्यवहार नहीं होता था। धर्मांतरण से पहले आवास और धन दिया जाता था, मगर हर तरफ से जाल में फंसने के बाद ऐसा कुछ नहीं होता था। ऐसे में निकाह करने वाली युवतियां का वापस जा पाना भी आसान नहीं होता था। वह गिरोह से जुड़ी होने के कारण पुलिस से भी मदद नहीं मांग पाती थीं।
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