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भ्रष्टाचार के घेरे में पूर्व IAS, आय से ज्यादा संपत्ति मामले में रेड

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व्यापार : प्रवर्तन निदेशालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में मंगलवार को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सेवाली देवी शर्मा से जुड़े परिसरों की तलाशी ली। एजेंसी ने असम राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष-सह-निदेशक शर्मा से जुड़े कम से कम आठ परिसरों पर छापे मारे हैं।

धन शोधन का यह मामला असम के मुख्यमंत्री के विशेष सतर्कता प्रकोष्ठ के निर्देश पर राज्य पुलिस की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी से संबंधित है। शर्मा पर पहले पुलिस ने 5.7 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया था। ईडी की कार्रवाई पर टिप्पणी के लिए पूर्व नौकरशाह से तत्काल संपर्क नहीं हो सका।

सूत्रों के अनुसार, शर्मा एससीईआरटी के मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रकोष्ठ (ओडीएल) के कार्यकारी अध्यक्ष-सह-निदेशक के रूप में कार्यरत थे और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के दो वर्षीय डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार थे।

राज्य सरकार ने इससे पहले 59 संस्थानों के निर्माण और 27,897 शिक्षकों के प्रशिक्षण को मंजूरी दी थी। शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने "अधिक धन जुटाने" के लिए 347 अध्ययन केंद्र खोले और 1,06,828 प्रशिक्षुओं को नामांकित किया। सूत्रों ने बताया कि शर्मा ने ओडीएल सेल के लिए पांच बैंक खाते खोले, जहां वह "एकमात्र हस्ताक्षरकर्ता" थीं, जो असम वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 का "उल्लंघन" था।

सूत्रों ने बताया कि व्यक्तियों से फीस के रूप में प्राप्त 115 करोड़ रुपये में से उन्होंने कथित तौर पर राज्य सरकार से वित्तीय मंजूरी प्राप्त किए बिना 105 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए। उन्होंने दावा किया कि नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किए बिना आपूर्ति और कार्यों के निष्पादन पर व्यय किया गया तथा सामग्री की पूरी आपूर्ति किए बिना ही भुगतान जारी कर दिया गया तथा कोई काम नहीं किया गया।

ईडी की जांच के अनुसार, ये ठेके शर्मा के सहयोगियों या परिवार के सदस्यों (दामाद, बेटी) के स्वामित्व वाली या उनके नियंत्रण वाली संस्थाओं को दिए गए थे, साथ ही चार्टर्ड अकाउंटेंट सारंग मोरे को भी दिए गए थे, जो ओडीएल सेल का ऑडिटर था।

सूत्रों के अनुसार ये ठेके बिना विज्ञापन या निविदा आमंत्रण के दिए गए। इसे सरकार की ओर से 5 लाख रुपये से अधिक की प्रत्येक खरीद के लिए निर्धारित किया गया था। ईडी ने दावा किया कि दो पक्षों को छोड़कर किसी के पास उन्हें दिए गए कार्य आदेशों को निष्पादित करने का कोई अनुभव नहीं था, और भुगतान आवश्यक रसीदों या वास्तविक आपूर्ति के सत्यापन के बिना किया गया था।

फर्जी बैंक गारंटी रैकेट: ईडी ने ओडिशा व पश्चिम बंगाल में चार जगहों पर छापे मारे

प्रवर्तन निदेशालय (एएनआई) ने शुक्रवार को एक फर्जी बैंक गारंटी रैकेट की जांच के सिलसिले में ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी चार जगहों पर छापेमारी की। ईडी ने धन शोधन की जांच के तहत भुवनेश्वर (ओडिशा) में तीन और कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में एक जगह पर छापेमारी की। यह कार्रवाई ईडी की ओर से दर्ज की गई प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) पर आधारित है, जो दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 11 नवंबर, 2024 को दर्ज एक मामले के बाद दर्ज की गई थी।

जांच के क्रम में, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 17 के तहत छापेमारी की। भुवनेश्वर में, बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों से जुड़े तीन परिसरों की तलाशी ली जा रही है, जबकि कोलकाता में एक सहयोगी और संचालक के परिसर की तलाशी ली जा रही है।

ईडी के अधिकारियों के अनुसार, ओडिशा स्थित बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशक और सहयोगी "8 प्रतिशत कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी करने में संलिप्त पाए गए हैं।"  एजेंसी ने कहा कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि समूह ने कमीशन के लिए फर्जी बिल भी जारी किए हैं।"

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