व्यापार : रेपो दर के अगस्त में एक बार और घटने की उम्मीद लगाए बैठे विदेशी निवेशकों में भारतीय सरकारी बॉन्ड के प्रति आकर्षण फिर बढ़ने लगा है। विदेशी निवेशकों ने पिछले एक महीने में 129 अरब रुपये के भारतीय बॉन्ड खरीदे हैं। इससे पहले चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले ढाई महीनों में 330 अरब से ज्यादा की बिकवाली की थी।
सिंगापुर स्थित स्ट्रेट्स इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के सीईओ मनीष भार्गव ने कहा, आरबीआई ने जून में रेपो दर में कटौती करने के साथ अपने रुख को तटस्थ कर लिया। इससे विदेशी निवेशकों ने लंबे समय तक निवेश नहीं करने का फैसला किया। लेकिन, जून में खुदरा महंगाई में भारी गिरावट को देखते हुए निवेशक एक और कटौती का अनुमान लगा रहे हैं। भार्गव ने कहा, अगर महंगाई कम रही और विकास संबंधी चिंताएं बनी रहीं, तो अगस्त में रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती संभव है।
मजबूत आर्थिक बुनियाद भी मददगार
आलियांजजीआई में उभरते बाजार कर्ज की प्रमुख पोर्टफोलियो प्रबंधक एवं लंदन स्थित गिउलिया पेलेग्रिनी ने कहा, भारत की समग्र आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। इससे देश निवेशकों की नजरों में बना हुआ है। उच्च आवृत्ति वाले आंकड़ों के हालिया निराशाजनक प्रदर्शन और आर्थिक वृद्धि में मंदी की आशंका को देखते हुए आरबीआई से आगे अधिक समर्थन की उम्मीद है।
भारतीय घरेलू ऋण की स्थिति आकर्षक
लंदन में टीटी इंटरनेशनल एसेट मैनेजमेंट में उभरते बाजारों के ऋण प्रमुख जीन चार्ल्स सैम्बोर ने कहा, भारत की घरेलू ऋण की स्थिति विदेशी मुद्रा और दरों दोनों के मामले में बहुत आकर्षक बनी हुई है। इस साल और अगले वर्ष बॉन्ड पर मिलने वाले रिटर्न में गिरावट आ सकती है।
उत्प्रेरक का काम करेगी ब्याज दरों में कटौती
निवेशकों का कहना है कि भारत और अमेरिका में ब्याज दरों के बीच बढ़ता अंतर भारतीय ऋण के आकर्षण को बढ़ाएगा। सिंगापुर स्थित फर्स्ट सेंटियर इन्वेस्टर्स के एशियन फिक्स्ड इनकम प्रमुख निगेल फू ने कहा, फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती भारतीय बॉन्ड के लिए सकारात्मक उत्प्रेरक का काम कर सकती है, क्योंकि इनसे स्थानीय मुद्रा ऋण बाजारों को मदद मिलती रही है। हालांकि, समान नीतिगत दर स्तरों पर भारतीय बॉन्ड पर रिटर्न पहले की तुलना में कम है। इसलिए, यह अपेक्षाकृत कम आकर्षक है।