बैतूल-विलुप्त हो रहे आदिवासी संस्कृति के लोकगीतों को वापस लाने के लिए शानदार पहल की गई है और ये लोकगीत खूब चल रहे है । यह सब किया है बहुमुखी प्रतिभा के धनी समाजसेवी शिक्षक राजेश सरियाम ने जिन्होंने आदिवासी पारंपरिक लोकगीतों को अच्छा प्लेटफार्म दिया है ।
श्री सरियाम ने बताया की आदिवासी समाज के पारम्परिक लोकगीतों को श्रृंखलाबद्ध तरीके से तैयार कर प्रस्तुत किया जा रहा है । शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाने वाले युवा समाजसेवी राजेश सरियाम और उनके साथियों ने एक टीम बनाकर आदिवासी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने के लिए संगीत का माध्यम लिया और आदिवासी संस्कृति से जुड़े गीतों को तैयार कर उन्हें एक अच्छा प्लेटफार्म देते हुए यूट्यूब चैनल के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाया जा रहा है ।
इन लोकगीतों को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं इसका उदाहरण यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है जहां वीवर की संख्या मिलियन में पहुंच गई है । शादियों में भी सुनाई दे रहे है । श्री सरियाम का कहना है कि हमारा उद्देश्य है की आने वाली पीढ़ी हमारी परंपरा को संजोय रखें और उसे आगे बढ़ाएं । अपनी भाषा को भूले नहीं विशेष रुप से आदिवासियों में बोली जाने वाली भाषा जो कम हो रही है उसे बचाने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है ।
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