FIR: संजय राउत के खिलाफ भोपाल में एफआईआर दर्ज 

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मुंबई में मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना के बंद होने को लेकर दिया था बयान

FIR: शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत के खिलाफ भोपाल क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज की गई है। यह कार्रवाई उनके द्वारा लाड़ली बहना योजना पर दिए गए बयान के बाद हुई है। 7 अक्टूबर को मुंबई में संजय राउत ने इस योजना को “इनवैलिड” और “राजनैतिक खेल” बताते हुए कहा था कि यह योजना सफल नहीं होगी और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। इस बयान के बाद भाजपा महिला मोर्चा की नेता सुषमा चौहान ने क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई।

क्या कहा था संजय राउत ने?

संजय राउत ने बयान दिया था कि लाड़ली बहना योजना सिर्फ राजनैतिक फायदे के लिए बनाई गई है और इसका कोई ठोस असर नहीं होगा। उन्होंने दावा किया कि इस योजना के चलते सरकारी कर्मचारियों को दिवाली के समय वेतन नहीं मिलेगा और जल्द ही योजना बंद कर दी जाएगी। राउत ने यह भी आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश में योजना के तहत आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है।

मध्य प्रदेश के सीएम का पलटवार:

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संजय राउत के बयान का तीखा जवाब देते हुए कहा कि यह बयान महाराष्ट्र के चुनावों में मतदाताओं को भ्रमित करने का प्रयास है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश सरकार लाड़ली बहना योजना के तहत हर महीने तय समय पर 1 करोड़ 29 लाख बहनों को धनराशि प्रदान कर रही है। साथ ही, रानी दुर्गावती की जयंती के अवसर पर बहनों के खातों में 5-5 हजार रुपये की राशि भी डाली गई है। सीएम ने जोर देकर कहा कि योजना लगातार जारी है और कोई ऐसा महीना नहीं गया जब राशि न दी गई हो।

महाराष्ट्र की स्थिति:

महाराष्ट्र में भी बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) सरकार लाड़ली बहनों को हर महीने 1500 रुपये प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दोबारा सरकार बनने पर इस राशि को बढ़ाकर 3000 रुपये करने का वादा किया है।

राजनैतिक तकरार:

यह विवाद न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि महाराष्ट्र में भी चुनावी माहौल को गर्म कर रहा है। संजय राउत के बयान को भाजपा ने महाराष्ट्र के मतदाताओं को गुमराह करने का प्रयास बताया, जबकि राउत का तर्क है कि यह योजना केवल राजनीतिक खेल का हिस्सा है और इसका कोई दीर्घकालिक लाभ नहीं होगा। इस घटनाक्रम से साफ है कि लाड़ली बहना योजना के बहाने दोनों राज्यों की राजनीति में तीखी बहस छिड़ गई है, जहां भाजपा इसे महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक ठोस कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी रणनीति के तहत उठाया गया कदम मान रहा है।

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