FIR: तहसीलदार के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी के बाद हड़ताल 

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राजस्व विभाग ने तीन साल पुराने आदेश का पुनः अनुस्मारक (रिमाइंडर) सभी कलेक्टरों को भेजा

FIR: जबलपुर में तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे के खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी के बाद तहसीलदारों की हड़ताल की वजह से प्रशासन में हलचल मच गई थी। यह हड़ताल पांच दिन तक चली, जिसे राजस्व मंत्री और प्रमुख सचिव (पीएस) की समझाइश के बाद समाप्त किया गया। इस घटना के बाद राजस्व विभाग ने तीन साल पुराने आदेश का पुनः अनुस्मारक (रिमाइंडर) सभी कलेक्टरों को भेजा है, जिसमें तहसीलदारों को दिए गए अर्द्धन्यायिक और न्यायिक अधिकारों की पुष्टि की गई है।

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प्रमुख बिंदु:न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम 1985:


तहसीलदार, जो कि राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी होते हैं, उन्हें न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम 1985 के तहत न्यायिक और अर्द्धन्यायिक कार्यवाही के दौरान किए गए कार्यों के खिलाफ सिविल या आपराधिक कार्रवाई से सुरक्षा प्राप्त है। राजस्व विभाग के 25 मार्च 2021 के आदेश और सामान्य प्रशासन विभाग के 31 जनवरी 1994 के निर्देश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि तहसीलदारों को न्यायाधीशों के समान संरक्षण मिले।

समन्वय और क्षेत्राधिकार:


राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने संभागायुक्तों और कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि तहसीलदारों और अन्य पीठासीन अधिकारियों के साथ समन्वय बनाएं, और क्षेत्राधिकार के तहत काम करते हुए तहसीलदारों के अधिकारों का ध्यान रखा जाए।

जबलपुर का मामला:


जबलपुर जिले के तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे के विरुद्ध वारिसाना नामांतरण के एक मामले में की गई कार्यवाही को एसडीएम ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद तहसीलदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस घटना के विरोध में जबलपुर के सभी तहसीलदार हड़ताल पर चले गए थे।

सरकार की प्रतिक्रिया:


हड़ताल समाप्त करने के बाद, राजस्व विभाग ने कलेक्टरों को निर्देश दिया कि भविष्य में तहसीलदारों के खिलाफ कार्रवाई करते समय उनके अर्द्धन्यायिक और न्यायिक अधिकारों का सम्मान किया जाए। इस मामले में गृह विभाग को भी अवगत कराया गया कि तहसीलदारों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से पहले उनके न्यायिक अधिकारों का ध्यान रखा जाना चाहिए।इस घटनाक्रम के बाद यह सुनिश्चित किया गया है कि तहसीलदारों के अधिकारों का उल्लंघन न हो और किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले उनके न्यायिक पद की गरिमा को बनाए रखा जाए।

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