भाई दूज के दिन हुए हादसे में मनीषा और उनके पति हुए थे घायल
Family inspiration: मनीषा राठौर, जो एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में घायल हो गई थीं, का अंगदान इंदौर में 58वां ग्रीन कॉरिडोर बनाकर किया गया। भाई दूज के दिन हुए इस हादसे में मनीषा और उनके पति घायल हो गए थे और दोनों पास-पास के अस्पतालों में भर्ती थे। मनीषा की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
अंगदान की प्रेरणादायक कहानी:
मनीषा के पति भूपेंद्र राठौर ने उनकी किडनी और आंखें दान करने का निर्णय लिया। इस फैसले को उन्होंने बेहद भावुक अंदाज में पूरा किया, मनीषा के माथे पर सिंदूर भरते हुए उन्हें विदाई दी। इस दृश्य ने अस्पताल में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम कर दीं।
ग्रीन कॉरिडोर की स्थापना और ट्रांसप्लांट:
अंगदान प्रक्रिया को कुशलता से संपन्न कराने के लिए दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। पहला कॉरिडोर सीएचएल हॉस्पिटल से राजश्री अपोलो हॉस्पिटल तक और दूसरा एमिनेंट हॉस्पिटल तक बना। पहली किडनी 5 मिनट और दूसरी 7 मिनट में निर्धारित स्थान पर पहुंचाई गई। अंगदान में शामिल टीम ने 72 घंटे के प्रयासों के बाद इस दान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
अंगदान जागरूकता के लिए संदेश:
मनीषा के अंगदान से प्रेरित होकर शाजापुर में लोगों ने अंगदान जागरूकता के पोस्टर लगाए और अन्य लोगों से भी अंगदान के लिए आगे आने का आह्वान किया। मनीषा की अंतिम यात्रा में समाज के लोग शामिल हुए और उनका शव रथ में लेकर शहर के प्रमुख स्थानों से होते हुए श्मशान तक पहुंचाया गया।
परिवार की प्रेरणा:
मनीषा के पति और बेटी, जो पुणे में एक आईटी कंपनी में काम करती हैं, ने कहा कि अंगदान से किसी को नया जीवन देने से बड़ी सेवा कुछ नहीं हो सकती। उनका मानना है कि अंगदान एक ऐसा कदम है, जिसे अपनाकर लोग दूसरों की जिंदगी में नया उजाला ला सकते हैं। यह प्रेरणादायक कहानी हमें अंगदान के महत्व और इसके माध्यम से किसी के जीवन को बचाने की शक्ति को समझने का अवसर देती है।
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