Search ई-पेपर ई-पेपर WhatsApp

Exit Poll : मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं

By
On:

तीसरी बार मिल सकती है देश की कमान

Exit Pollबैतूल देश के लोकतंत्र का पर्व किसके माथे पर तिलक लगाएगा यह 4 तारीख को दोपहर तक साफ हो जाएगा। मोदी की चुनावी रणनीति और भाजपा का बेहद मजबूत संगठन भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी। हालांकि मोदी सरकार के खिलाफ इंडिया गठबंधन ने पिछले चुनाव की तुलना में भरसक प्रयास किया। पर रैलियों में भीड़ का आना और उस भीड़ में वोट में शक्ल में परिवर्तन होकर परिणाम को अपने पक्ष में करना मोदी विरोधियों के लिए दूभर दिख रहा है। शायद इसका कारण नीति और नेता दोनों का अभाव इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी कमजोरी है। वहीं इंडिया गठबंधन के बहुत सारे सदस्य कई राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। जनता इस बात को लेकर भ्रमित है कि एक तरफ तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली में साथ लड़ रहे हैं वहीं पंजाब में एक-दूसरे को भला-बुरा कह रहे हैं और एक-दूसरे की कमियां निकाल रहे हैं। इसी तरह बंगाल में ममता बैनर्जी कांग्रेस एवं लेफ्ट के विरूद्ध लड़ रही हैं। वहीं केरल में कांग्रेस और लेफ्ट आमने-सामने हैं। सिर्फ मोदी को हटाना यह किसी गठबंधन या पार्टी की नीति नहीं हो सकता।

वहीं राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ किंतु चिरयुवा नेता जब भी भाषण देते हैं तो एक तो उसमें निरंतरता नहीं होती वहीं हर भाषण में आंकड़े भी बदलते रहते हैं। इसलिए शायद जनता उन्हें बहुत गंभीरता से नहीं लेती हैं। उनके साथ सहयोगी अखिलेश यादव वह भी काफी वरिष्ठ हो चुके हैं पर उनकी भाषा शैली और भाषणों में यह प्रदर्शित नहीं होता। पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की 80 में से 79 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं पर अब तो 80 में से 80 पर कहानी आ गई है। जो कि असंभव की श्रेणी से भी ऊपर है। इसलिए जनता इन्हें भी गंभीरता से नहीं लेती है। एक और युवा तेजस्वी यादव इन दोनों नेताओं की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि इन दोनों की तुलना में कम पढ़े लिखे हैं। और निश्चित तौर पर इन दोनों नेताओं की तुलना में इनका परिणाम बेहतर होगा।

अब बात करें सबसे महत्वपूर्ण दो राज्यों की पहला पश्चिम बंगाल और दूसरा महाराष्ट्र। पश्चिम बंगाल में जिस तरह की परिस्थिति और प्रचार दिख रहा है उससे यह प्रतीत हो रहा है कि ममता बैनर्जी के विरूद्ध उनका एंटी इंकमबैंसी और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के चलते भारतीय जनता पार्टी 2019 से अधिक सीटें लेकर आएगी। वहीं महाराष्ट्र में पिछली बार भारतीय जनता पार्टी और तत्कालीन शिवसेना ने लगभग आधी-आधी सीटें जीती थीं। पर इस बार चूंकि राजनैतिक समीकरण पूरी तरह से छिन्न-भिन्न हो चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी अकेले ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और शरद पंवार से घड़ी और उद्धव ठाकरे से तीर कमान छूट जाने के बाद इनके कम पढ़े लिखे वोटर आज भी इन्हीं चुनाव चिन्हों पर मोहर लगाएंगे। वहीं पार्टी टूटने से कार्यकर्ताओं का मनोबल भी धरती पर है।

वहीं उड़ीसा मेें लगातार नवीन पटनायक अच्छा प्रदर्शन और सुशासन के लिए माने जाते रहे हैं पर इस बार उन पर कुछ हद तक एंटी इंकमबैंसी और उनका स्वास्थ्य ठीक ना होना उनके खिलाफ जा रहा है। और भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल की तरह यहां पर भी अपने संगठन को पिछले पांच वर्षों में बहुत मजबूत किया है।

हमारे सर्वेक्षण के अनुसार दक्षिण के राज्यों में तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। वहीं तमिलनाडू, केरल जैसे राज्यों में पहली बार भाजपा कमल खिलाएगी।

उत्तर भारत एवं मध्य भारत के राज्य जो कि भाजपा का मजबूत गढ़ हैं उनमें लगभग 2019 के प्रदर्शन को भारतीय जनता पार्टी दोहराने जा रही है। कुछ राज्यों में चुनिंदा सीटें कम हो सकती हैं पर उनकी भरपाई पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उड़ीसा जैसे राज्य करेंगे।

मोदी ने जैसे ही अबकी बार 400 पार का नारा दिया पूरा विपक्ष महीनों तक इस उधेड़बुन में रहा कि मोदी की 370 और एनडीए की कुल जमा 400 सीटें कैसे आएंगी? कभी वह ईव्हीएम को दोष देते नजर आए तो कभी इतना बहुमत संविधान बदलने के लिए मांगने का आरोप लगाते रहे। पर यह भूल गए हैं कि सरकार बनाने के लिए 272 सीटों की ही आवश्यकता होती है।

इसलिए नहीं है मोदी को खतरा | Exit Poll

मोदी सरकार और स्वयं नरेंद्र मोदी को इसलिए इस चुनाव में खतरा नहीं है क्योंकि उनकी नीतियां और योजनाओं ने आम आदमी तक को छूने का प्रयास किया है। बात चाहे हर घर में नल से जल की हो या फिर पक्का मकान देने की ही क्यों ना हो? राशन के साथ किसानों को सम्मान निधि, उपचार के लिए आयुष्मान योजना के अलावा यदि देश की अखण्डता और समप्रभुता की बात करें तो धारा 370 हटाना, देश भर में हजारों किमी. सड़क निर्माण करना, रेलों की संख्या वृद्धि, गांव-गांव में बिजली भी अपने आप में एक कीर्तिमान रहा है। यदि हम धर्म की बात करें तो सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा श्रीराम मंदिर विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में श्रीरामलला का भव्य मंदिर बनाना और उनमें स्थापना करना कोई मामूली काम नहीं था। इन सब वजहों से मोदी घर-घर पहुंच गए हैं इसलिए उन्हें इस चुनाव में कोई खतरा नहीं है।

(यह एक अनुमान है, 4 जून को परिणाम आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी)
For Feedback - feedback@example.com

Related News

Home Icon Home E-Paper Icon E-Paper Facebook Icon Facebook Google News Icon Google News