Electricity Company – आमला क्षेत्र में बिजली कंपनी की मनमानी

किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी, अधिकारी नहीं कर रहे कार्यवाही

Electricity Company – बैतूल – 2018 के विधानसभा चुनाव में किसानों ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया था। वहीं अब किसानों को साधने के लिए केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार कई योजनाएं चला रही है। बैतूल जिले में भाजपा की सरकार में किसानों के साथ धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं।

ये मामले और कहीं नहीं भाजपा विधायक के क्षेत्र में सामने आए हैं। बिजली कंपनी के संज्ञान में आने के बाद मामलों की जांच किए जाने की बात हो रही है। लेकिन कार्यवाही अभी तक किसी के भी खिलाफ नहीं हुई है।

बड़े स्तर पर सामने आ रही है गड़बड़ी | Electricity Company

5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज योजना के तहत बिजली कंपनी में पंजीकृत ठेकेदारों के द्वारा किए जा रहे कार्यों में बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आ रही है। आमला विधानसभा क्षेत्र के बोरदेही में बामला गांव के एक किसान ने ट्रांसफार्मर लगवाने के लिए पैसे जमा कर दिए।

इस कार्य में बिजली विभाग के अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत के कारण बिना स्वीकृति के ट्रांसफार्मर चालू कर दिया गया। जब मामला सामने आया तो आनन-फानन में ट्रांसफार्मर बंद कर दिया। इस मामले की जानकारी बिजली कंपनी के बड़े अधिकारियों को मिली तो जांच शुरू हो गई पर लंबे समय बाद भी जांच अंजाम तक नहीं पहुंची है। अधिकारी कह रहे हैं कि जांच अभी जारी है।

पहले ही खींच दी गई लाइन | Electricity Company

आमला विधानसभा क्षेत्र के बिजली कंपनी के आमला ग्रामीण क्षेत्र में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें बिजली कंपनी में ना तो कोई आवेदन दिया गया और ना ही कोई स्टीमेट बनाया गया। इसके पहले ही लाइन खींच दी गई। जब आमला ग्रामीण के जेई लक्ष्मण राव पंवार को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने अधिनस्थ कर्मचारी को गांव भेजकर बिजली तार उतरवा लिया। श्री पंवार का कहना है कि उन्होंने सूचना भी भिजवा दी है कि जब तक आवेदन और स्टीमेट स्वीकृत नहीं होता है तब तक किसी भी तरह का कार्य नहीं किया जाए।

आपराधिक श्रेणी में आते हैं कार्य | Electricity Company

बैतूल वृत्त के जीएम पीसी गौर से सांध्य दैनिक खबरवाणी में हुई चर्चा में उन्होंने बताया है कि 5 प्रतिशत सुपरविजन कार्य योजना में कोई भी कार्य करने के पहले उसका आवेदन और स्टीमेट स्वीकृत कराना अनिवार्य है। बिना स्वीकृति के कराया गया कार्य आपराधिक श्रेणी में आता है और बिजली कंपनी संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकती है। 

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