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एक गांव ऐसा भी जहाँ के हर घर में होती है एलोविरा की खेती। और किसान हो रहे है माला-मॉल।

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यह बात है बीकानेर के देवीकुंड सागर गांव की एलोवेरा यानी ग्वारपाठा की. बीकानेर से करीब 25 किलोमीटर दूर देवीकुंड सागर गांव का ग्वारपाठा काफी प्रसिद्ध है. इस गांव के हर घर में एलोवेरा यानी ग्वारपाठा की खेती होती है. इस गांव से बड़ी संख्या में एलोवेरा भारत के कई शहरों में जाता है।

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हाल ही में बाजार में एलोवेरा की मांग बढ़ती जा रही है. एलोवेरा का इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स से लेकर आयुर्वेदिक दवाओं तक हर चीज में किया जाता है. इस वजह से बाजार में एलोवेरा की मांग बढ़ती जा रही है. आप भी एलोवेरा की खेती करके कुछ ही दिनों में लाखों रुपये कमा सकते हैं। महज 1 बीघे जमीन में एलोवेरा की खेती कर अच्छी कमाई की जा सकती है।

एलोवेरा की खेती के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें केवल एक बार निवेश की आवश्यकता होती है. इस पौधे का एक बीज आपको 5 सालों तक लाभ दे सकता है. एक बार एलोवेरा का पौधा लग जाने के बाद आप इसे एक पौधे से दूसरे पौधे में उगा सकते हैं.

कमाई का आकलन

एलोवेरा का यह पौधा तीन से चार महीने में कई छोटे पौधे तैयार कर देगा और लाखों रुपए देगा. एक बीघे जमीन में 12000 पौधे लगाए जा सकते हैं. एलोवेरा के पौधे की कीमत तीन से चार रुपये होती है।

इसका मतलब है कि 48000 हजार रुपये खर्च करके एक बीघे जमीन पर एलोवेरा के पेड़ लगाए जा सकते हैं. एक पेड़ से चार किलो एलोवेरा की पत्तियां मिलती हैं. एलोवेरा की एक पत्ती की कीमत सात से आठ रुपये होती है. एक बीघे जमीन में एलोवेरा का पौधा लगाने से घर बैठे 3 से 4 लाख रुपये की आमदनी होगी।

एलोवेरा की खेती के लिए फरवरी से नवंबर तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है. रोपण करते समय दो पेड़ों के बीच 2 फीट की दूरी रखनी चाहिए. एलोवेरा लगाने के बाद किसान साल में दो बार पत्तियों की कटाई कर सकते हैं और अच्छी आय कमा सकते हैं।

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