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Earthquake in Leh after pakistan: पाकिस्तान के बाद अब भारत के लेह में भूकंप के झटके, धरती कांपी 10 किलोमीटर गहराई में था केंद्र!

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Earthquake in Leh after pakistan: पाकिस्तान के बाद अब भारत के लेह (Ladakh) में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, लेह में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.1 मापी गई है। झटके शनिवार शाम महसूस किए गए, जिससे लोगों में अफरातफरी मच गई। बताया जा रहा है कि इसका केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई में था।

पाकिस्तान के बाद भारत में हिली धरती

शनिवार दोपहर पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। वहां 3.6 तीव्रता का भूकंप आया था जिसका केंद्र 160 किलोमीटर की गहराई में था। वहीं, लेह में आए भूकंप का केंद्र केवल 10 किलोमीटर गहरा होने के कारण उसके झटके ज्यादा तीव्र महसूस हुए। NCS ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल पर इस भूकंप से जुड़ी जानकारी साझा की।

कम गहराई वाले भूकंप ज्यादा खतरनाक क्यों होते हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि कम गहराई वाले भूकंप (Shallow Earthquake) अधिक खतरनाक होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन भूकंपों की तरंगें सतह तक कम दूरी तय करती हैं, जिससे धरती पर झटके ज्यादा जोरदार महसूस होते हैं। इसका असर इमारतों, सड़कों और जनजीवन पर ज्यादा पड़ता है। यही कारण है कि लेह में आए भूकंप ने लोगों को डरा दिया।

पाकिस्तान में भी महसूस किए गए झटके

इससे पहले शनिवार को पाकिस्तान में 3.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार, यह झटका 160 किलोमीटर गहराई पर आया था। वहीं 24 अक्टूबर को भी पाकिस्तान में 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र 10 किलोमीटर गहराई में था। लगातार आ रहे ये झटके इस इलाके की भूकंपीय गतिविधियों (Seismic Activity) को दर्शाते हैं।

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दुनिया का सबसे भूकंपीय इलाका – दक्षिण एशिया

जानकारी के अनुसार, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी भारत दुनिया के सबसे भूकंपीय सक्रिय क्षेत्रों में शामिल हैं। यहां भारतीय प्लेट (Indian Plate) और यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate) आपस में टकराती हैं। इसी कारण यहां बार-बार हल्के से लेकर तेज भूकंप आते रहते हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्तिस्तान जैसे इलाके यूरेशियन प्लेट के किनारे पर हैं, जबकि सिंध और पंजाब भारतीय प्लेट पर स्थित हैं — यही वजह है कि इस क्षेत्र में लगातार भूकंप महसूस किए जाते हैं।

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