Donald Trump vs Vladimir Putin:अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर तनातनी अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर सीधा वार करते हुए दो बड़ी रूसी ऑयल कंपनियों पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध (Sanctions) लगाए हैं। इसके जवाब में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अमेरिका को चेतावनी दी है। इसके बाद ट्रंप ने पुतिन को सीधी धमकी देते हुए कहा— “इसका असर 6 महीने में दिखेगा।” यानी अब अमेरिका और रूस के बीच की ठंडी जंग खुले टकराव में बदलने लगी है।
“6 महीने में बताऊंगा असर…” ट्रंप की सीधी धमकी
वॉशिंगटन डीसी में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा, “अगर पुतिन को लगता है कि ये सैंक्शन रूस की अर्थव्यवस्था पर असर नहीं डालेंगे, तो ठीक है… मैं 6 महीने में बता दूंगा कि असली असर क्या होता है।”
अमेरिका ने 22 अक्टूबर 2025 को रूस की दो सबसे बड़ी ऑयल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के बाद अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में करीब 5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ये कदम रूस पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है ताकि वह यूक्रेन युद्ध को खत्म करे।
पुतिन की प्रतिक्रिया: “दबाव में नहीं झुकेगा रूस”
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी प्रतिबंधों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “कोई भी स्वाभिमानी देश बाहरी दबाव में निर्णय नहीं लेता।”दरअसल, ट्रंप और पुतिन की मुलाकात बुडापेस्ट में होने वाली थी, लेकिन अमेरिका ने अचानक वह बैठक रद्द कर दी। इस पर ट्रंप ने कहा, “मुझे नहीं लगा कि वह मुलाकात हमें वांछित दिशा में ले जाएगी, इसलिए मैंने उसे टाल दिया, लेकिन भविष्य में जरूर मिलेंगे।”
यह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पहली बार है जब अमेरिका ने रूस के खिलाफ सीधा आर्थिक कदम उठाया है।
अब भारत पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिका के नए प्रतिबंधों से भारत की तेल खरीद नीति पर भी असर पड़ सकता है। भारत रूस से सस्ते दाम पर बड़ी मात्रा में क्रूड ऑयल (Crude Oil) खरीदता है। ट्रंप ने कई बार दावा किया है कि भारत जल्द ही रूसी तेल की खरीद कम करेगा, लेकिन भारतीय सरकार की ओर से अभी तक ऐसी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
नई पाबंदियों के चलते भारतीय और चीनी ऑयल कंपनियों के लिए रूस से तेल खरीदना और भुगतान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंध डॉलर आधारित भुगतान प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।
क्या भारत करेगा रूस से दूरी या बनाए रखेगा संतुलन?
भारत फिलहाल रूस और अमेरिका दोनों के साथ संतुलित विदेश नीति अपनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अगर अमेरिका अपने प्रतिबंध और सख्त करता है, तो भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा और राजनयिक संबंधों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रूस पर दबाव बढ़ा, तो भारत को विकल्प के तौर पर मध्य पूर्व या अमेरिका से तेल आयात बढ़ाना पड़ सकता है। आने वाले 6 महीने में साफ हो जाएगा कि ट्रंप की धमकी का असर रूस पर ज्यादा पड़ेगा या भारत की जेब पर।





