वर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला बेहद पवित्र और धार्मिक पर्व है। इस दिन भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग (Bhog) अर्पित करते हैं। घरों में सुंदर रंगोलियां सजाई जाती हैं और भक्ति गीतों से वातावरण पवित्र हो जाता है। इस दिन खास व्यंजन बनाए जाते हैं जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि भक्ति और प्रेम का प्रतीक भी हैं। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा पर बनाए जाने वाले दो पारंपरिक व्यंजन – कढ़ी चावल और मीठे गुलगुले की रेसिपी।
गोवर्धन भोग के लिए बनाएं स्वादिष्ट कढ़ी चावल
सामग्री:
- बेसन – 1 कप
- खट्टा दही – 2 कप
- हल्दी – ½ चम्मच
- लाल मिर्च पाउडर – ½ चम्मच
- नमक – स्वादानुसार
- हींग – एक चुटकी
- मेथी दाना – ½ चम्मच
- राई – ½ चम्मच
- करी पत्ता – 8-10 पत्ते
- हरी मिर्च – 2 (बारीक कटी हुई)
- तेल – 2 चम्मच
- पानी – लगभग 4 कप
बनाने की विधि:
सबसे पहले बेसन और दही को अच्छे से फेंट लें। अब इसमें हल्दी, मिर्च, नमक और पानी डालकर पतला घोल तैयार करें।
इसे कढ़ाई में मध्यम आंच पर पकाएं और लगातार चलाते रहें ताकि गांठें न बनें।
लगभग 15-20 मिनट पकाने के बाद जब कढ़ी गाढ़ी हो जाए, तब तड़का लगाएं।
एक छोटे पैन में तेल गर्म करें, उसमें राई, मेथी, हींग, करी पत्ता और हरी मिर्च डालें।
जब तड़का तैयार हो जाए, तो इसे पकाई हुई कढ़ी में डाल दें। अब इसे गर्मागरम चावल के साथ परोसें।
मीठे गुलगुले – गोवर्धन पूजा का पारंपरिक प्रसाद
सामग्री:
- गेहूं का आटा – 1 कप
- गुड़ – ¾ कप (कसा हुआ या टुकड़ों में)
- सौंफ – 1 चम्मच
- इलायची पाउडर – ½ चम्मच
- पानी – ½ कप
- घी या तेल – तलने के लिए
बनाने की विधि:
गुड़ को गुनगुने पानी में घोलकर छान लें ताकि उसमें से सारी गंदगी निकल जाए।
अब इस गुड़ वाले पानी को आटे में डालकर हल्का गाढ़ा बैटर बना लें (पकोड़े जैसा)।
फिर इसमें सौंफ और इलायची पाउडर डालें और अच्छे से मिलाएं।
कढ़ाई में घी या तेल गर्म करें और बैटर से छोटे-छोटे गोले बनाकर तेल में डालें।
धीमी आंच पर इन्हें सुनहरा भूरा होने तक तलें। ये बाहर से कुरकुरे और अंदर से मुलायम बनते हैं।
त्योहार का स्वाद और भक्ति दोनों बढ़ाएं
गोवर्धन पूजा पर कढ़ी चावल और मीठे गुलगुले बनाकर भगवान को भोग लगाना शुभ माना जाता है। यह न केवल आपकी श्रद्धा को व्यक्त करता है बल्कि पूरे परिवार के लिए स्वादिष्ट प्रसाद भी तैयार करता है। इस तरह आप अपने घर में भक्ति, स्वाद और परंपरा – तीनों का संगम बना सकते हैं।





