Digital Arrest Cases in India: देशभर में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट स्कैम (Digital Arrest Scam) मामलों पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है। कोर्ट ने इसे सिर्फ एक आम साइबर ठगी नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहा संगठित अपराध बताया है। अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे अब तक दर्ज हुई सभी FIR की रिपोर्ट 3 नवंबर तक कोर्ट में पेश करें।
1. सुप्रीम कोर्ट ने दिखाया सख्त रुख
सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने कहा कि इन मामलों की जांच अब CBI को सौंपी जा सकती है।
कोर्ट ने साफ कहा – “यह कोई सामान्य साइबर अपराध नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संगठित गिरोहों का नेटवर्क है।”
इन स्कैम्स का नेटवर्क म्यांमार, थाईलैंड और अन्य एशियाई देशों से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।
2. इंटरपोल और संयुक्त राष्ट्र से मदद लेने की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस अपराध के जाल को खत्म करने के लिए अब Interpol और United Nations जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद ली जा सकती है।
कोर्ट का मानना है कि इस स्कैम का दायरा भारत से बाहर तक फैला हुआ है और बिना अंतरराष्ट्रीय सहयोग के इसे खत्म करना मुश्किल है।
यह नेटवर्क भारत समेत कई देशों के युवाओं को ऑनलाइन ठगी में फंसाता है।
3. राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि
3 नवंबर 2025 तक डिजिटल अरेस्ट मामलों से जुड़ी सभी FIR की पूरी जानकारी कोर्ट में पेश की जाए।
कोर्ट चाहती है कि इन मामलों में एक समान और संगठित जांच प्रणाली बनाई जाए ताकि ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोहों को चिन्हित किया जा सके।
4. CBI पहले से कर रही कुछ मामलों की जांच
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि
CBI पहले से ही कुछ डिजिटल अरेस्ट स्कैम मामलों की जांच कर रही है।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि ये स्कैम गिरोह म्यांमार और थाईलैंड के “स्कैम कंपाउंड्स” से ऑपरेट होते हैं,
जहां भारतीय युवाओं को नौकरी का लालच देकर ले जाया जाता है और उन्हें ऑनलाइन ठगी करने पर मजबूर किया जाता है।
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5. कोर्ट बोली – “डिजिटल गुलामी की यह नई शक्ल”
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि इन मामलों में कई भारतीय युवाओं को “डिजिटल स्लेव” यानी डिजिटल गुलाम बना दिया गया है।
उन्हें जबरन ऑनलाइन ठगी करवाने के लिए रखा जाता है।
कोर्ट ने कहा कि यदि इन नेटवर्क्स को जल्द खत्म नहीं किया गया तो यह देश की डिजिटल सुरक्षा और नागरिकों की स्वतंत्रता दोनों के लिए खतरा बन सकता है।
 
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