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क्या मप्र सरकार ने अपने भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने सरकारी वकीलों की नियुक्ति की ?

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उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली के खिलाफ बार काउंसिल और महाधिवक्ता से हुई शिकायत लोकायुक्त के वकील की चुप्पी पर भी सवाल. जबलपुर हाईकोर्ट में हुई एक सुनवाई में मध्य प्रदेश सरकार के उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली पर सरकार के खिलाफ ही खड़े होने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस बारे में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने महाधिवक्ता कार्यालय को शिकायत भेजकर आरोप लगाया है कि उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने सरकार के हितों की अनदेखी करके बिना किसी विधिक अधिकार या वकालतनामा के एक निजी प्रतिवादी का बचाव किया है । मामला 24 जून 2025 को कोर्ट में सुना गया और 1 जुलाई को आदेश अपलोड हुआ, जिसमें यह याचिका 50 हजार रुपए के जुमनि के साथ जुर्माने खारिज कर दी गई।

शिकायत के अनुसार, प्रतिवादी डॉ. संजय मिश्रा को उनकी व्यक्तिगत हैसियत में याचिका में पक्षकार बनाया.

कोर्ट से छिपाई गई जानकारियां
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता के अनुसार सबसे गंभीर पहलू यह था कि अधिवक्ता गांगुली ने कोर्ट से वह जानकारी छिपाई जो सरकार के रिकॉर्ड में मौजूद थी, जैसे कि डॉ. संजय मिश्रा को बहुविवाह, शासकीय दस्तावेजों की कूटरचना, फर्जीवाड़ा और अवैध संपत्ति अर्जन के मामलों में 9 मई 2025 को गया था उपमहाधिवक्ता होते हुए भी स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट में डॉ. मिश्रा के पक्ष में तर्क रखे, जबकि वे केवल राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर सकते थे। नियमों के अनुसार, सरकारी अधिवक्ता तभी निजी पक्ष का बचाव कर सकते हैं जब विशेष
कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था और विभागीय जांच भी शुरू की जा चुकी थी। इसके विपरीत, उन्होंने मिश्रा को उत्पीड़न का शिकार बताया और याचिकाकर्ता के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण कहा । इससे कोर्ट को गुमराह किया गया और न्यायिक प्रक्रिया को भी प्रभावित किया गया।

रूप से अधिकृत हों, परंतु यहां ऐसा कोई प्राधिकरण या वकालतनामा प्रस्तुत नहीं किया गया। इससे न केवल विधि विभाग नियमावली की धारा 8 ( 2 ) का उल्लंघन हुआ, बल्कि सरकारी सेवा की मर्यादा भी भंग हुई।

शिकायत में यह भी कहा गया कि सुनवाई के दौरान लोकायुक्त संगठन के वकील मौजूद थे, लेकिन उन्होंने पूरी तरह चुप्पी साधे रखी। जबकि पहले इसी प्रकरण से संबंधित एक अन्य मामले में लोकायुक्त को जांच करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। लोकायुक्त के वकील की निष्क्रियता से उपमहाधिवक्ता गांगुली को एकतरफा तथ्य देने का मौका मिला, और याचिकाकर्ता को न्याय से वंचित कर दिया गया। आरोप हैं कि एडवोकेट गांगुली ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की अनुपस्थिति में उनके खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां कर उनकी पेशेवर प्रतिष्ठा को भी

आघात पहुंचाया। मप्र बार काउंसिल और महाधिवक्ता को भेजी शिकायत में याचिकाकर्ता प्रहलाद साहू के द्वारा मप्र बार काउंसिल में स्वप्निल गांगुली के कदाचरण की शिकायत कर अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 और 36 के तहत उनके खिलाफ कार्यवाही की मांग की गई है। महाधिवक्ता से की गई शिकायत में मांग की गई है कि इस आचरण की निष्पक्ष और समय पर जांच हो। शिकायत में मांग की गई है कि स्वप्निल गांगुली पर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

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