घर में बनाई ऐसी पटाखा मशीन जो आवारा पशुओं को भगाने में करेगी मदद
Kisan Ka Desi Jugaad – जैसा की आप सभी को मालूम है की भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ बड़े पैमाने पर खेती की जाती है और खेती किसानी को काफी महत्व भी दिया जाता है। जिस तरह खेती का इतना बड़ा स्तर है उसी तरह इससे जुडी समस्याएं भी ऐसी ही हैं। जिसके कारण किसान चैन से दो पल बैठ भी नहीं पाता है जैसा की आप सभी पता है की जब कोई भी किसान अपने खेत में फसल लगाता है तो उसे इस बात की चिंता लगी रहती है की कहीं उसकी फसल को आवारा पशु नुकसान न पहुंचा दें।
ऐसे में कई तरह के किसानों द्वारा अलग अलग जुगाड़ अपनाए जाते हैं जो की सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल होते हैं। अब ऐसा ही एक जुगाड़ फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमे देखा जा सकता है की कैसे एक शख्स ने घर में पटाखा गन मशीन बनाई है जिसकी आवाज से आवारा पशु भाग खड़े होंगे।
मशीन बनाने में आने वाला खर्च | Kisan Ka Desi Jugaad
यह एक मशीन हम घर पर ही बना सकते है इस बनाने के लिए मात्र 300 रूपये का खर्च आता है। इसकी आवाज से आवारा और जंगली जानवर आपके खेत के आस पास भी नहीं भटकेंगे। जो भी इनसे परेशान है उनके लिए साबित हो सकता है रामबाण। इस गन को चलने के लिए आपको किसी लाइसेंस की भी जरूरत नहीं होती।
इस जुगाड़ की खासियत
इस गन से निकलने वाली धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर जाती है जिससे की सभी जानवर डर के मारे भाग जाते है। रात के समय जुगाड़ से बानी यह गन काफी कारगार साबित हो रही है. यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर Tech Patakha नामक व्यक्ति द्वारा शेयर किया गया है। हमें यह वीडियो Youtube से प्राप्त हुआ है।
इस तरह काम करती है मशीन | Kisan Ka Desi Jugaad
प्लास्टिक पाइप में कार्बाइड और पानी को शेक करके केमिकल रिएक्शन होने से गैस बनती है. फिर उससे फायर किया जाता है और जोर से आवाज होती है. इससे न जानवर को नुकसान होता है और न ही चलाने वाले को. इसकी दमदार आवाज से आवारा जानवर डरकर भाग जाते हैं. इस अनोखी गन को बनाने में मात्र तीन सौ रुपये की लागत से सस्ती गन से किसान अपने खेतों की रखवाली कर सकते हैं.
दिवाली में भी कर सकते हैं इस्तेमाल
किसान अपने खेतों में शाम को सूरज डूबने के बाद चार से पांच फायर करते हैं और फिर उन्हें पूरी रात के लिए निश्चित हो जाते हैं. गांव वाले इस साल दीपावली में गांव के युवा पटाखे की बजाए इसी गन का इस्तेमाल करने की बात कह रहे हैं, इससे किसी तरह का कोई प्रदूषण भी नहीं होता है।